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81. णाहं कोहो माणो ण चेव माया ण होमि लोहो हं।
कत्ता ण हि कारइदा अणुमंता णेव कत्तीण।।
नहीं
कोहो माणो
क्रोध
मान
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चेव माया
माया
ण.
होमि
[(ण)+ (अहं)] ण (अ) = नहीं अहं (अम्ह) 1/1 स (कोह) 1/1 (माण) 1/1 अव्यय अव्यय (माया) 1/1 अव्यय (हो) व 1/1 अक (लोह) 1/1 (अम्ह) 1/1 स (कत्तु) 1/1 वि अव्यय अव्यय (कारइदु) 1/1 वि (अणुमंतु) 1/1 वि
अव्यय (कत्ति) 6/2 वि
Once
लोहो
लोभ
कत्ता
करनेवाला न तो
कारइदा अणुमंता
णेव
करानेवाला अनुमोदना करनेवाला न ही करनेवालों की
कत्तीणं
अन्वय- णाहं कोहो माणो ण चेव माया ण हं लोहो होमि ण कत्ता णेव कारइदा कत्तीणं अणुमंता हि।
अर्थ- मैं क्रोध नहीं (हूँ), मान (नहीं हूँ), न ही माया (हूँ) न (मैं) लोभ (हूँ)। न तो (मैं) (उन सबका) करनेवाला (हूँ), न ही करानेवाला (और) करनेवालों की अनुमोदना करनेवाला भी (नहीं हूँ)। (अतः मैं शुद्ध स्वरूप में इन विभाव पर्यायों से पूर्णतया परे हूँ)। (विभाव पर्यायों के लिए कृत, कारित,
अनुमोदना का भाव मूर्च्छित अवस्था का द्योतक है)। नियमसार (खण्ड-2)
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