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________________ 79. णाहं बालो वुड्डो ण चेव तरुणो ण कारणं तेसिं। कत्ता ण हि कारइदा अणुमंता णेव कत्तीण।। नहीं बालो बुड्ढो बालक वृद्ध चेव तरुणो रुण ण [(ण)+(अहं)] ण (अ) = नहीं अहं (अम्ह) 1/1 स (बाल) 1/1 (वुढ) 1/1 वि अव्यय अव्यय (तरुण) 1/1 वि अव्यय (कारण) 1/1 (त) 6/2 सवि (कत्तु) 1/1 वि अव्यय अव्यय (कारइदु) 1/1 वि (अणुमंतु) 1/1 वि अव्यय (कत्ति) 6/2 वि नहीं कारण कारण तेर्सि उनका कत्ता करनेवाला न तो भी कारइदा अणुमंता करानेवाला अनुमोदना करनेवाला न ही कत्तीणं करनेवालों की अन्वय- णाहं बालो वुड्डो ण चेव तरुणो ण तेसिं कारणं ण कत्ता णेव कारइदा कत्तीणं अणुमंता हि। . अर्थ- मैं बालक नहीं (हूँ), वृद्ध (नहीं हूँ), न ही तरुण (हूँ), उनका कारण (भी) नहीं (हूँ) (अपने मूल शुद्ध स्वरूप के अवलोकन से ज्ञात होता है कि) न तो (मैं) (इन सबका) करनेवाला (हूँ), न ही करानेवाला (और) करनेवालों की अनुमोदना करनेवाला भी (नहीं हूँ)। (अतः मैं शुद्ध स्वरूप में इन विभाव पर्यायों से पूर्णतया परे हूँ)। (विभाव पर्यायों के लिए कृत, कारित, अनुमोदना का भाव मूर्च्छित अवस्था का द्योतक है)। नियमसार (खण्ड-2) (15)
SR No.002305
Book TitleNiyamsara Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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