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179 णवि दुक्खं णवि सुक्खं णवि पीडा णेव विज्जदे बाहा। णवि मरणं णवि जणणं तत्थेव य होइ णिव्वाणं ।।
णवि दुक्खं
णवि
誓愿管属管长管
सुक्ख
वि
पीडा
व
विज्जदे
बाहा
णवि
मरणं
णवि
जणणं
तत्थेव
य
होइ णिव्वाणं
하
अव्यय
(दुक्ख ) 1 / 1
अव्यय
(सुक्ख) 1 / 1
अव्यय
( पीडा ) 1 / 1
अव्यय
(विज्ज) व 3 / 1 अक
( बाहा) 1 / 1
अव्यय
( मरण) 1 / 1
अव्यय
( जणण) 1 / 1
[ ( तत्थ) + (एव) ]
तत्थ (अ)= वहाँ
एव (अ) = ही
अव्यय
(हो) व 3/1 अक
( णिव्वाण) 1 / 1
t
दुख
न
सुख
न
पीड़ा
न
होती है
बाधा
न
मरण
न
जन्म
वहाँ
ही
पादपूरक
होता है
निर्वाण
अन्वय- वि दुक्खं वि सुक्खं णवि पीडा णेव बाहा विज्जदे य
वि मरणं णवि जणणं तत्थेव णिव्वाणं हो ।
अर्थ - (जहाँ) अर्थात् जिस आत्मा
दुख (है), न सुख (है), न पीड़ा (है), न बाधा होती है और न मरण ( है ), न जन्म (है) वहाँ ही (वह अवस्था ही) निर्वाण होता है / होती है।
(122)
नियमसार (खण्ड
-2)