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178. अव्वाबाहमणिंदियमणोवमं पुण्णपावणिम्मुक्कं।
पुणरागमणविरहियं णिच्चं अचलं अणालंब।।
अव्वाबाहमणिंदिय- [(अव्वाबाह)+(अणिंदियं)+ मणोवमं (अणोवमं)]
अव्वाबाहं (अव्वाबाह)1/1 वि अनन्तसुखस्वरूप अणिदियं (अणिदिय) 1/1 वि अतीन्द्रिय
अणोवमं (अणोवम) 1/1 वि अनुपम पुण्णपावणिम्मुक्कं [(पुण्ण)-(पाव)- पुण्य-पाप से
(णिम्मुक्क) 1/1 वि] रहित पुणरागमणविरहियं [(पुनरागमण)
पुनरागमन से (विरहिय) 1/1 वि णिच्चं (णिच्च) 1/1 वि अचलं (अचल) 1/1 वि अचल अणालंब
(अणालंब) 1/1 वि अनालंब
रहित
नित्य
• अन्वय-अव्वाबाहमणिदियमणोवमं पुण्णपावणिम्मुक्कं पुणरागमणविरहियं णिच्चं अचलं अणालंब।
अर्थ- (वह सिद्ध परमात्मा) अनन्तसुखस्वरूप, अतीन्द्रिय, अनुपम, पुण्य-पाप से रहित, पुनरागमन से रहित, नित्य, अचल और अनालंब (है)।
नियमसार (खण्ड-2)
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