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173. परिणामपुव्ववयणं जीवस्स य बंधकारणं होइ।
परिणामरहियवयणं तम्हा णाणिस्स ण हि बंधो॥
परिणामपुव्ववयणं [(परिणाम)-(पुव्व) वि
(वयण) 1/1] जीवस्स (जीव) 6/1
फल की आकांक्षा से युक्त वचन जीव के .
अव्यय
पादपूरक बंध का कारण
बंधकारणं होइ परिणामरहियवयणं
[(बंध)-(कारण) 1/1] (हो) व 3/1 अक [(परिणाम)-(रहिय) वि(वयण) 1/1] अव्यय (णाणि) 6/1 वि
तम्हा णाणिस्स
फल की आकांक्षा रहित वचन इसलिए केवलज्ञानी के नहीं निस्सन्देह बंध
अव्यय
अव्यय (बंध) 1/1
अन्वय-परिणामपुव्ववयणं जीवस्स य बंधकारणं होइ णाणिस्स परिणामरहियवयणं तम्हा हि ण बंधो।
अर्थ- फल की आकांक्षा से युक्त वचन जीव के बंध का कारण है। केवलज्ञानी के वचन फल की आकांक्षा-रहित (होते हैं)। इसलिए निस्सन्देह (केवलज्ञानी के) (कर्म) बंध नहीं (होता है)।
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नियमसार (खण्ड-2)