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________________ 164. णाणं परप्पयासं ववहारणयेण दंसणं तम्हा। अप्पा परप्पयासो ववहारणयेण दंसणं तम्हा॥ णाणं परप्पयासं ववहारणयेण दसणं तम्हा (णाण) 1/1 ज्ञान [(पर) वि-(प्पयास) 1/1 वि] पर को प्रकाशित करनेवाला (ववहारणय) 3/1 व्यवहारनय से (दसण) 1/1 दर्शन अव्यय इसलिए (अप्प) 1/1 आत्मा [(पर) वि-(प्पयास) 1/1 वि] पर को प्रकाशित करनेवाला (ववहारणय) 3/1 व्यवहारनय से (दसण) 1/1 दर्शन अव्यय इसलिए अप्पा परप्पयासो ववहारणयेण दसणं तम्हा अन्वय- ववहारणयेण णाणं परप्पयासं तम्हा दंसणं ववहारणयेण अप्पा परप्पयासो तम्हा दंसणं। अर्थ- व्यवहारनय (लोकदृष्टि) से ज्ञान पर को प्रकाशित करनेवाला (है), इसलिए दर्शन (भी) (पर को प्रकाशित करनेवाला है)। व्यवहारनय से आत्मा पर कों प्रकाशित करनेवाला (है) इसलिए दर्शन (भी) (पर को प्रकाशित करनेवाला 1. यहाँ छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु ‘प्पयासयं' के स्थान पर 'प्पयासं' तथा 'प्पयासयो' के स्थान पर 'प्पयासो' किया गया है। नियमसार (खण्ड-2) . (107)
SR No.002305
Book TitleNiyamsara Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages198
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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