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163. अप्पा परप्पयासो तइया अप्पेण दंसणं भिण्णं।
ण हवदि परदव्वगयं दंसणमिदि वण्णिदं तम्हा॥
अप्पा परप्पयासो
तइया अप्पेण
आत्मा से
दसणं
भिण्णं
भिन्न
हवदि
· (अप्प) 1/1
आत्मा [(पर) वि-(प्पयास) 1/1 वि] पर को प्रकाशित
करनेवाला अव्यय (अप्प) 3/1 (दसण) 1/1
दर्शन (भिण्ण) 1/1 वि अव्यय
नहीं (हव) व 3/1 अक होता है [(पर) वि-(दव्व)- परद्रव्य में (गय) भूक 1/1 अनि] गया हुआ [(दंसणं)+ (इदि)] दसणं (दसण) 1/1 इदि (अ) = ऐसा शब्दस्वरूपद्योतक (वण्ण) भूकृ 1/1 वर्णित (त) 5/1 सवि
उस कारण से
परदव्वगयं
दसणमिदि
दर्शन
वण्णिदं तम्हा
अन्वय- अप्पा परप्पयासो वण्णिदं दंसणमिदि परदव्वगयं ण तम्हा तइया अप्पेण दंसणं भिण्णं हवदि।
. अर्थ- आत्मा पर को प्रकाशित करनेवाला वर्णित (है) (और) दर्शन परद्रव्य में गया हुआ नहीं (है) अर्थात् पर को प्रकाशित करनेवाला नहीं है। उस कारण से तो आत्मा से दर्शन भिन्न होता है (होगा)।
1.
यहाँ छन्द की मात्रा की पूर्ति हेतु ‘प्पयासयो' के स्थान पर 'प्पयासो' किया गया है।
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नियमसार (खण्ड-2)