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153. वयणमयं पडिकमणं वयणमयं पच्चक्खाण णियमंच।
आलोयण वयणमयं तं सव्वं जाण सज्झाय।।
वचनमय
वयणमयं पडिकमणं
प्रतिक्रमण
वचनमय
वयणमयं *पच्चक्खाण णियमं
प्रत्याख्यान
नियम
'और
(वयणमय) 2/1 वि (पडिकमण) 2/1 (वयणमय) 2/1 वि (पच्चक्खाण) 2/1 (णियम) 2/1 अव्यय (आलोयण) 2/1 (वयणमय) 2/1 वि (त) सवि 2/1 (सव्व) सवि 2/1 (जाण) विधि 2/1 (सज्झाय) 2/1
*आलोयण वयणमयं
आलोचना वचनमय
उस
सव्वं
सबको
जाण
जानो
सज्झायं
स्वाध्याय
अन्वय- वयणमयं पडिकमणं वयणमयं पच्चक्खाण णियमंच वयणमयं आलोयण तं सव्वं सज्झायं जाण।
अर्थ- वचनमय प्रतिक्रमण, वचनमय प्रत्याख्यान, (वचनमय) नियम और वचनमय आलोचना उस सबको (तुम) स्वाध्याय जानो।
प्राकृत में किसी भी कारक के लिए मूल संज्ञा शब्द काम में लाया जा सकता है।
(पिशलः प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पृष्ठ 517) नियमसार (खण्ड-2)
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