________________
151. जो धम्मसुक्कझाणम्हि परिणदो सो वि अंतरंगप्पा । झाणविहीणो समणो बहिरप्पा इदि विजाणीहि ।।
जो
धम्मसुक्कझाणम्हि
परिणदो
सो
卡布
वि
अंतरंगप्पा
झाणविहीणो
समणो
बहरप्पा
इदि
विजाणीहि '
1.
(ज) 1 / 1 सवि
जो
[ ( धम्म ) - (सुक्कझाण) 7/1] धर्मध्यान और
शुक्लध्यान में
पूर्ण विकसित
(परिणद) भूक 1 / 1 अनि
(त) 1 / 1 सवि
अव्यय
(अंतरंगप्प) 1 / 1
[(झाण) - (विहीण)
1/1 fa]
( समण) 1 / 1
(बहिरप्प) 1 / 1
अव्यय
(विजाण) विधि 2 / 1 सक
नियमसार ( खण्ड - 2)
वह
भी
प्राकृत भाषाओं का व्याकरण, पिशल, पृष्ठ 691
अन्तरात्मा
ध्यानरहित
अन्वय- जो धम्मसुक्कझाणम्हि परिणदो सो वि अंतरंगप्पा
झाणविहीणी समणो बहिरप्पा इदि विजाणीहि ।
अर्थ - जो ( श्रमण ) धर्मध्यान और शुक्लध्यान में पूर्ण विकसित (होता है) वह भी अन्तरात्मा (होता है)। ध्यानरहित श्रमण बहिरात्मा (होता है)। (तुम)
जानो ।
श्रमण
बहिरात्मा
शब्दस्वरूपद्योतक
जानो
(93)