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75. वावारविप्पमुक्का चउव्विहाराहणासयारत्ता ।
णिग्गंथा णिम्मोहा साहू दे एरिसा होति ॥
व्यवसाय से छुटकारा पाए हुए
वावारविप्पमुक्का [(वावार)-(विप्पमुक्क)
भूकृ 1/2 अनि] चउब्विहाराहणा- [(चउब्विह)+(आराहणासयारत्ता
सयारत्ता)] [(चउ) वि-(व्विह)(आरहणा)-(सया) अ
(रत्त) भूकृ 1/2 अनि णिगंथा (णिग्गंथ) 1/2 वि णिम्मोहा (णिम्मोह) 1/2 वि
(साहु) 1/2 (द-त) 1/2 सवि (एरिस) 1/2 वि (हो) व 3/2 अक
चार प्रकार की आराधनाओं में सदा लगे हुए निग्रंथ मोह-रहित साधु
साहू
एरिसा
होति
होते हैं
अन्वय- दे एरिसा साहू होंति वावारविप्पमुक्का चउव्विहाराहणासयारत्ता णिग्गंथा णिम्मोहा ।
अर्थ- वे साधु ऐसे होते हैं: व्यवसाय से छुटकारा पाए हुए, चार प्रकार की (ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप) आराधनाओं में सदा लगे हुए, निग्रंथ और मोह-रहित ।
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नियमसार (खण्ड-1)