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________________ 68. बंधणछेदणमारणआकुंचण तह पसारणादीया । कायकिरियाणियत्ती णिद्दिट्ठा कायत्ति त्ति ॥ बंधणछेदणमारण- [ ( बंधण) - (छेदण) - (मारण) - बंधन, छेदन, मारण आकुंचन ( आकुंचण ) 1 / 1 ] संकोचन तह अव्यय [(पसारण) - (आदिय आदीय) 1/2 ] पसारणादीया 'य' स्वार्थिक . कायकिरियाणियत्ती [ (काय) - (किरिया) - (forufa) 1/1] ( णिद्दिट्ठा) भूक 1 / 1 अनि [(कायगुत्ती) + (इति)] काय (कायत्ति) 1/1 इति (अ) = पादपूरक णिद्दिट्ठा कात्ति - नियमसार (खण्ड-1) तथा प्रसारण आदि शरीर की क्रियाओं का त्याग कही गई कायगुप्त पादपूरक अन्वय- बंधणछेदणमारणआकुंचण तह पसारणादीया कायकिरिया - यत्ती कायत्ति ति णिद्दिट्ठा । अर्थ - (पर) - बंधन, छेदन, मारण (तथा) (समुद्घात में) संकोचन तथा प्रसारण आदि शरीर की क्रियाओं का त्याग कायगुप्ति कही गई ( है ) । (81)
SR No.002304
Book TitleNiyamsara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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