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66. कालुस्समोहसण्णारागद्दोसाइअसुहभावाणं।
परिहारो मणुगुत्ती ववहारणयेण परिकहियं ॥
कालुस्समोहसण्णा- [(कालुस्समोहसण्णारागद्दोसाइअसुह- रागद्दोस)+(आइअसुहभावाणं भावाणं)]
[(कालुस्स)-(मोह)-(सण्णा)- कलुषता, मोह, संज्ञा, (राग)-(दोस)-(आइ)- राग, द्वेष आदि
(असुह)-(भाव) 6/2] अशुभ भावों का परिहारो (परिहार) 1/1
परिहार मणुगुत्ती (मणुगुत्ति) 1/1 मनोगुप्ति ववहारणयेण (ववहारणय) 3/1 व्यवहार नय से परिकहियं (परिकह) भूकृ 1/1 कहा गया
अन्वय- कालुस्समोहसण्णारागहोसाइअसुहभावाणं परिहारो मणुगुत्ती ववहारणयेण परिकहियं ।
अर्थ- कलुषता, मोह, संज्ञा, राग, द्वेष आदि अशुभ भावों का परिहार मनोगुप्ति (है)। व्यवहार नय से (यह) कहा गया (है)।
नियमसार (खण्ड-1)
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