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44. णिग्गंथो णीरागो णिस्सल्लो सयलदोसणिम्मुक्को।
णिक्कामो णिक्कोहो णिम्माणो णिम्मदो अप्पा ॥
णिग्गंथो (णिगंथ) 1/1 वि परिग्रहरहित णीरागो (णीराग) 1/1 वि आसक्तिरहित णिस्सल्लो (णिस्सल्ल) 1/1 वि शल्यरहित सयलदोसणिम्मुक्को [(सयल) वि-(दोस)- समस्त दोषों से
(णिम्मुक्क) भूक 1/1 अनि] रहित णिक्कामो (णिक्काम) 1/1 वि वासनारहित णिक्कोहो (णिक्कोह) 1/1 वि क्रोधरहित णिम्माणो (णिम्माण) 1/1 वि अहंकाररहित णिम्मदो (णिम्मद) 1/1 वि मदरहित अप्पा (अप्प) 1/1
(परम) आत्मा
अन्वय- अप्पा णिग्गंथो णीरागो णिस्सल्लो सयलदोसणिम्मुक्को णिक्कामो णिक्कोहो णिम्माणो णिम्मदो ।
अर्थ- (परम) आत्मा परिग्रहरहित, आसक्तिरहित, (तीन) शल्य' रहित, समस्त दोषों से रहित, वासनारहित, क्रोधरहित, अहंकाररहित (और) (आठ) मदरहित (होता है)।
1.
तीन शल्य- (1) माया शल्य- कपट (2) मिथ्या शल्य- आत्मा में अश्रद्वान (3) निदान शल्य- भोगों की लालसा । आठ मद- (1) ज्ञान-मद (2) पूजा-मद (3) कुल-मद (4) जाति-मद (5) बल-मद (6) रूप-मद (7) तप-मद (8) ऋद्धि-मद ।
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नियमसार (खण्ड-1)