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________________ 43. णिइंडो णिबंदो णिम्ममो णिक्कलो णिरालंबो। णीरागो णिदोसो णिम्मूढो णिब्भयो अप्पा ॥ णिइंडो . (णिइंड) 1/1 वि णिबंदो णिम्ममो णिक्कलो णिरालंबो णीरागो णिद्दोसो णिम्मूढो णिब्भयो (णिबंद) 1/1 वि (णिम्मम) 1/1 वि (णिक्कल) 1/1 वि (णिरालंब) 1/1 वि (णीराग) 1/1 वि (णिद्दोस) 1/1 वि (णिम्मूढ) 1/1 वि (णिब्भय) 1/1 वि (अप्प) 1/1 मन-वचन-काय के स्पंदनरहित विरोधी विकल्परहित पर से तादात्म्यरहित शरीररहित पराश्रयरहित शुभ-अशुभ रागरहित दोष/द्वेष रहित मूर्छा/अविवेकरहित भयरहित (परम) आत्मा अप्पा अन्वय- अप्पा णिइंडो णिबंदो णिम्ममो णिक्कलो णिरालंबो णीरागो णिदोसो णिम्मूढो णिन्भयो। . अर्थ- (परम) आत्मा मन-वचन-काय के स्पंदनरहित, विरोधी (जैसेसुख-दुख, मान-अपमान आदि) विकल्परहित, पर से तादात्म्यरहित, (पाँच) शरीररहित, पराश्रयरहित, शुभ-अशुभ रागरहित, दोष (कर्ममल)/द्वेष (वैर) रहित, मूर्छा/अविवेकरहित (और) (सात) भयरहित (होता है)। 1. 2. पाँच शरीर- (1) औदारिक (2) वैक्रियिक (3) आहारक (4) तैजस (5) कार्मण । सात भय- (1) इहलोक (2) परलोक (3) अत्राण (4) अगुप्ति (5) मरण (6) वेदना (7) आकस्मिक । नियमसार (खण्ड-1) (55)
SR No.002304
Book TitleNiyamsara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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