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40. णो ठिदिबंधट्ठाणा पयडिट्ठाणा पदेसठाणा वा।
णो अणुभागट्ठाणा जीवस्स ण उदयठाणा वा ॥
ठिदिबंधट्टाणा
पयडिट्ठाणा पदेसठाणा
अव्यय
नहीं [(ठिदि)-(बंध)-(ट्ठाण) 1/2] स्थितिबंध की
भावदशा [(पयडि)-(ट्ठाण) 1/2] प्रकृतिबंध.की भावदशा [(पदेस)-(ठाण) 1/2] प्रदेशों में परस्पर प्रवेश
की स्थिति/अवसर अव्यय अव्यय [(अणुभाग)-(ट्ठाण) 1/2]
अनुभागबंध की
अवस्था (जीव) 6/1-7/1 जीव में अव्यय
नहीं [(उदय)-(ठाण) 1/2] उदय का कारण अव्यय
नहीं
अणुभागट्ठाणा
जीवस्स
ण
उदयठाणा
वा
अन्वय- जीवस्स ठिदिबंधट्ठाणा णो पयडिट्ठाणा पदेसठाणा वा णो अणुभागट्ठाणा वा ण उदयठाणा ।
___अर्थ- जीव (परम आत्मा) में (कर्मों के) स्थितिबंध की भावदशा नहीं (है), (कर्म) प्रकृतिबंध की (भी) भावदशा (नहीं है)। (कर्मपुद्गलों का आत्मा के) प्रदेशों में परस्पर प्रवेश की स्थिति/अवसर भी नहीं (है) । अनुभागबंध (कर्मफल शक्ति) की अवस्था भी नहीं (है) (तथा) (परम आत्मा में) (कर्म के) उदय का कारण (ही) (नहीं है)।
1.
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम -प्राकृत-व्याकरणः 3-134)
(52)
नियमसार (खण्ड-1)