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33. जीवादीदव्वाणं परिवणकारणं हवे कालो।
धम्मादिचउण्हं णं सहावगुणपज्जया होंति ॥
जीवादीदव्वाणं
परिवट्टणकारणं
हवे
कालो धम्मादिचउण्हं
[(जीव)+(आदीदव्वाणं)] [(जीव)-(आदी आदि)- जीवादि (दव्व) 6/2]
द्रव्यों के [(परिवट्टण)-(कारण) 1/1] परिणमन में कारण (हव) व 3/1 अक होता है (काल) 1/1
काल [(धम्म)+(आदिचउण्ह)] [(धम्म)-(आदि)- धर्म आदि चार (चउ) 6/2-7/2 वि] (द्रव्यों) में अव्यय
निश्चय ही [(सहाव)-(गुण)- स्वभाव गुण पर्यायें (पज्जय) 1/2] (हो) व 3/2 अक होती हैं
सहावगुणपज्जया
होंति
अन्वय- जीवादी दव्वाणं परिवहणकारणं हवे कालो धम्मादिचउण्हं णं सहावगुणपज्जया होति ।
अर्थ- जीवादि द्रव्यों के परिणमन में (जो) कारण होता है (वह) काल (द्रव्य है)। (परिणमन के फलस्वरूप) धर्म आदि चार (द्रव्यों) में निश्चय ही स्वभाव गुण पर्यायें होती हैं।
1.
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर षष्ठी विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम -प्राकृत-व्याकरणः 3-134)
(44)
नियमसार (खण्ड-1)