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32. जीवादु पोग्गलादो णंतगुणा चावि संपदा समया ।
लोयायासे संति य परमट्ठो सो हवे कालो ॥
जीवादु' पोग्गलादो णंतगुणा चावि संपदा
जीवद्रव्य से पुद्गलद्रव्य से अनन्त गुणी और
संपदा
समया लोयायासे
(जीव) 5/1 (पोग्गल) 5/1 (णंतगुण) 1/2 वि अव्यय (संपदा) 1/2 (समय) 1/2 वि (लोयायास) 7/1 (संति) व 3/2 अक अनि अव्यय (परमट्ठ) 1/1 वि (त) 1/1 सवि (हव) व 3/1 अक (काल) 1/1
समयपर्यायरूपी लोकाकाश में होती हैं
और परमार्थ (द्रव्य) वह
परमट्ठो
काल
अन्वय- जीवादु चावि पोग्गलादो णंतगुणा समया संपदा लोयायासे संति य सो परमट्ठो कालो हवे।
अर्थ- जीवद्रव्य और पुद्गलद्रव्य से अनन्त गुणी समयपर्यायरूपी संपदा लोकाकाश में होती हैं और (उसका आधार) वह (समूहरूप में) परमार्थ (द्रव्य) काल है (उससे ही समयपर्यायरूपी संपदा उत्पन्न होती है)।
1.
तुलना अर्थ में पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है। (प्राकृत-व्याकरण, पृष्ठ 44)
नियमसार (खण्ड-1)
(43)