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________________ 28. अण्णणिरावेक्खो जो परिणामो सो सहावपज्जाओ । खंधसरूवेण पुणो परिणामो सो विहावपज्जाओ ॥ अण्णणिरावेक्खो जो परिणामो सो सहावपज्जाओ खंधसरूवेण पुण परिणामो सो विहावपज्जाओ [ ( अण्ण) वि - (णिरावेक्ख) पर की अपेक्षा - रहित 1/1 fa] (ज) 1 / 1 सवि (परिणाम) 1 / 1 (त) 1 / 1 सवि [ ( सहाव ) - (पज्जाअ) 1 / 1 ] [ ( खंध ) - (सरूव) 3 / 1 वि] अव्यय नियमसार (खण्ड जो परिणमन -1) वह स्वभाव - पर्याय स्कंध - स्वरूप से और परिणमन अन्वय- अण्णणिरावेक्खो जो परिणामो सो सहावपज्जाओ पुणो (परिणाम) 1 / 1 (त) 1/1 सवि वह [(विहाव ) - (पज्जाअ) 1 / 1] विभाव- पर्याय खंधसरूवेण परिणामो सो विहावपज्जाओ। अर्थ - पर की अपेक्षा - रहित जो परिणमन ( है ) वह स्वभाव - पर्याय (है) और स्कंध - स्वरूप से (जो ) परिणमन है वह विभाव - पर्याय ( है )। (39)
SR No.002304
Book TitleNiyamsara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages146
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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