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16. माणुस्सा दुवियप्पा कम्ममहीभोगभूमिसंजादा।
सत्तविहा णेरड्या णादव्वा पुढविभेदेण ॥
माणुस्सा
(माणुस्स) 1/2
मनुष्य
दुवियप्पा
(दुवियप्प) 1/2 वि
दो प्रकार के
कम्ममहीभोगभूमि- [(कम्ममही)-(भोगभूमि)
कर्मभूमि और
संजादा
(संजाद) भूकृ 1/2 अनि]
भोगभूमि में उत्पन्न
सत्तविहा
(सत्तविह) 1/2 वि
सात प्रकार के
णेरइया
(णेरइय) 1/2
नारकी
णादव्वा
(णा) विधिक 1/2
समझे जाने चाहिए .
पुढविभेदेण
[(पुढवि)-(भेद) 3/1]
पृथ्वी के भेद से
अन्वय- माणुस्सा दुवियप्पा कम्ममहीभोगभूमिसंजादा पुढविभेदेण
णेरइया सत्तविहा णादव्वा ।।
अर्थ- मनुष्य दो प्रकार के (होते हैं)- कर्मभूमि और भोगभूमि में
उत्पन्न। पृथ्वी के भेद से नारकी सात प्रकार के समझे जाने चाहिए ।
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नियमसार (खण्ड-1)