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57. एदेहिं य सम्बन्धो जहेव खीरोदयं मुणेदव्वो।
ण य होंति तस्स ताणि दु उवओगगुणाधिगो जम्हा॥
एदेहि
(एद) 3/2 सवि अव्यय (सम्बन्ध) 1/1 अव्यय
सम्बन्धो जहेव
इनसे पादपूरक सम्बन्ध समानता व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त
दूध और जल समझा जाना चाहिए
नहीं
कर
बिल्कुल
खीरोदयं [(खीर)+(उदय)]
[(खीर)-(उदय) 1/1] मुणेदव्वो (मुण) विधिकृ 1/1 .
अव्यय अव्यय
(हो) व 3/2 अक तस्स
(त) 6/1 सवि ताणि
(त) 1/2 सवि
अव्यय उवओगगुणाधिगो [(उवओगगुण)+(अधिगो)]
[(उवओग)-(गुण)
(अधिग) 1/1 वि] जम्हा
होते हैं उसके
ज्ञान-गुण से पूर्ण
अव्यय
क्योंकि
अन्वय- एदेहिं य सम्बन्धो खीरोदयं जहेव मुणेदव्वो ताणि तस्स य ण होंति जम्हा दु उवओगगुणाधिगो।
अर्थ- इनसे (वर्णादि से) (जीव का) सम्बन्ध दूध और जल के समान (अस्थिर) समझा जाना चाहिए। वे (वर्णादि) उसके (जीव के) बिल्कुल (ही) नहीं होते हैं, क्योंकि (जीव) तो ज्ञान-गुण से पूर्ण (ओत-प्रोत) (होता है)। नोटः संपादक द्वारा अनूदित
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समयसार (खण्ड-1)