SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 68
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 50. जीवस्स णत्थि वण्णो ण वि गंधो ण वि रसो ण वि य फासो। ण वि रूवं ण सरीरं ण वि संठाणं ण संहणणं॥ जीव के जीवस्स णत्थि वण्णो FFIF 24 1 2 3 4 E F (जीव) 6/1 अव्यय (वण्ण) 1/1 अव्यय अव्यय (गंध) 1/1 अव्यय अव्यय (रस) 1/1 अव्यय अव्यय अव्यय (फास) 1/1 अव्यय अव्यय (रूव) 1/1 अव्यय (सरीर) 1/1 अव्यय अव्यय (संठाण) 1/1 अव्यय (संहणण) 1/1 . ही शब्द न शरीर ण संठाणं आकार नहीं अस्थि-रचना संहणणं ___ अन्वय-जीवस्स वण्णो णत्थि ण वि गंधो ण वि रसो य ण वि फासो ण वि. रूवं ण सरीरं ण वि संठाणं संहणणं ण। अर्थ- जीव के वर्ण नहीं (है), न ही गंध (है), न ही रस (है) और न ही स्पर्श (है), न ही शब्द (है) न (उसका) (कोई) शरीर (है), न ही (उसका) (कोई) आकार है (और) (उसके) (किसी प्रकार की) अस्थि-रचना (भी) नहीं 1. रूप-रूव = शब्द (आप्टेः संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश) समयसार (खण्ड-1) (61)
SR No.002302
Book TitleSamaysara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy