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वह
25. जदि सोपोग्गलदव्वीभूदो जीवत्तमागदंइदरं।
तो सक्को वत्तुं जे मज्झमिणं पोग्गलं दव्वं। जदि अव्यय
यदि सो . (त) 1/1 सवि पोग्गलदव्वीभूदो [(पोग्गल)+(दव्व)+(ई)+(भूदो)]
[(पोग्गल)-(दव्व)-(भूद) पुद्गल द्रव्यरूप भूकृ 1/1 अनि] . में घटित
ई (अ)= पादपूरक पादपूरक जीवत्तमागदं [(जीवत्तं)+(आगद)]
जीवत्तं (जीवत्त) 2/17/1 जीवत्व में घटित आगदं (आगद) भूकृ 1/1 अनि (इदर) 2/1-7/1 वि इसके विपरीत
अव्यय सक्को (सक्क) 1/1 वि (वत्तु) हेकृ अनि
कहने के लिए अव्यय मज्झमिणं [(मज्झं)+(इणं)]
मज्झं (अम्ह) 6/1 स इणं (इम) 1/1 सवि (पोग्गल) 1/1
पुद्गल दव्वं (दव्व) 1/1
द्रव्य अन्वय- जदि सो पोग्गलदव्वीभूदो इदरं जीवत्तमागदं तो वत्तुं सक्को जे पोग्गलं दव्वं मज्झमिणं।
- अर्थ- यदि वह (जीव द्रव्य) पुद्गल द्रव्यरूप में घटित (हो) (या) इसके विपरीत (पुद्गल द्रव्य) जीवत्व में घटित (हो) तो (ही)( तुम) (यह) कहने के लिए समर्थ (हो) कि (यह) पुद्गल द्रव्य मेरा (है)।
समर्थ
वतुं
कि
पोग्गलं
1.
कभी-कभी सप्तमी विभक्ति के स्थान पर द्वितीया विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। (हेम-प्राकृत-व्याकरणः 3-137)
समयसार (खण्ड-1)
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