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________________ 17. जह णाम को वि पुरिसो रायाणं जाणिऊण सद्दहदि। तो तं अणुचरदि पुणो अत्थत्थीओ पयत्तेण॥ 18. एवं हि जीवराया णादव्वो तह य सद्दहेदव्वो। अणुचरिदव्वो य पुणो सो चेव दु मोक्खकामेण॥ जह अव्यय णाम पादपूरक को कोई पुरिसो रायाणं जाणिऊण सद्दहदि अव्यय (क) 1/1 सवि अव्यय (पुरिस) 1/1 (रायाणं) 2/1 अनि (जाण) संकृ (सद्दह) व 3/1 सक अव्यय (त) 2/1 सवि (अणुचर) व 3/1 सक अव्यय (अत्थत्थीअ) 1/1 वि 'अ' स्वार्थिक प्रत्यय (पयत्तेण) 3/1 तृतीयार्थक अव्यय मनुष्य राजा को जानकर विश्वास करता है तब उसकी सेवा करता है और धन का इच्छुक अणुचरदि पुणो अत्थत्थीओ पयत्तेण सावधानीपूर्वक अव्यय वैसे अव्यय समयसार (खण्ड-1) (27)
SR No.002302
Book TitleSamaysara Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2015
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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