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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. और २००४ का चातुर्मास बढवाण में महाराजश्री ने किया अब उनका स्वास्थ्य बिगडता जा रहा था । बारबार चक्कर आ जाते थे । पहले की तरह विहार अब नही हो पाता था । वढ़वाण में तथा बोटाद में प्रतिष्ठा करवाकर महाराजश्री ने कंदबगिरि की ओर विहार किया था । महाराजश्री रोहिशाला से विहार करके कदम्बगिरि पधारे । उनकी तबियत अब दिन प्रति दिन क्षीण होती जा रही थी । एक दिन शाम को महाराजश्री के मन में ऐसा भाव जागा कि "इस साल का चातुर्मास कदम्बगिरि में करें तो कितना अच्छा ।" इस तीर्थ का उद्धार उनके हाथों हुआ था अतः तीर्थभूमि के प्रति आत्मीयता पैदा हो गई थी । कादम्बगिरि में चातुर्मास करने के विचार को उनके मुख्य शिष्य श्री उदयसूरि और श्री नंदसूरि ने स्वागत किया । चातुर्मास निश्चित होने पर ये समाचार पालीताणा, भावनगर, महुवा, जेसर, तलाजा, अहमदाबाद इत्यादि स्थलों पर पहुंच गए । महाराज श्री की निश्रा में चातुर्मास करने के लिए कितने ही व्रतधारी श्रावकों ने कदम्बगिरि जाने का निर्णय लिया । महुवा में अंतिम चातुर्मास : स्वर्गारोहण : इस निर्णय की घोषणा होते ही महुवा के अग्रणी श्रावकों को एक नवीन विचार स्फूरित हुआ । उन्हें ऐसा लगा कि अपने वतन के महान पुत्र ने बहुत वर्षों से महुवा में चातुर्मास नही किया है तो इसके लिए अनुरोध करना चाहिए । इसलिए महुवा संघ के
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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