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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ७९ से दीक्षा ली । मुनि रत्नप्रभाविजयजी अंग्रेजी भाषा पर अच्छा प्रभुत्व रखते थे । इसीलिए महाराजश्री की प्रेरणा से उन्होंने भगवान महावीर के जीवन के विषय में आठ बडे बडे ग्रंथ अंग्रेजी में प्रकट किए थे । जामनगर के शेठ पोपटलाल धारशी ने जब से अहमदाबाद के शेठ माकुभाई का यात्रासंघ देखा तब से उनकी संघ निकालने की भावना थी । उन्होंने उसके लिए सागरजी महाराज से प्रार्थना की । सागरजी महाराज ने कहा था कि आपको यात्रासंघ की शोभा बढ़ानी हो तो श्री विजयनेमिसूरिजी से प्रार्थना करनी चाहिए । इसीलिए शेठ पोपटलाल अहमदाबाद आकर महाराजश्री से आग्रहपूर्वक प्रार्थना कर गए थे । अतः महाराजश्री ने वि.सं. १९९६ का चातुर्मास जामनगर में किया और चातुर्मास पूर्ण होने पर सिद्धाचलजी का ६'री' पालक संघ निकाला गया । महाराजश्री ने तत्पश्चात् पालीताणा, भावनगर, वला इत्यादि स्थलों पर चातुर्मास किया । उन्होंने जहाँ-जहाँ विचरण किया वहाँवहाँ तीर्थोद्धार, संघयात्रा, प्रतिष्ठा महोत्सव, दीक्षा पदवी महोत्सव इत्यादि प्रकार के कार्य होते रहे । महाराजश्री के पास प्रतिदिन अनेक आदमी वंदना करने और संघ के कार्यों के लिए आते थे । खंभात से महाराजश्री अहमदाबाद पधारे थे । वहां जैन मर्चन्ट सोसायटी में देरासर की प्रतिष्ठा करवाई । उसके बाद शेरीसा तथा वामज में प्रतिष्ठा करवाई । वि.सं. २००३ का चातुर्मास साबरमती महा
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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