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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ६७ किया और तीर्थरक्षा के विषय में स्वयं अधिक ध्यान देगें ऐसा विश्वास दिलाया । ___ इस तरह कलेक्टर साहब महाराजश्री से अपना काम करवाने के लिए मिलने आए थे किन्तु बिदा हुए महाराजश्री ने सूचित किए कार्य करने का वचन देकर । इस अंग्रेज अधिकारी ने अपनी निजी डायरी में लिखा कि महाराजश्री बहुत तेजस्वी और शक्ति संपन्न (Full of Energy) महापुरुष है । तीर्थोद्धार महाराजश्री के जीवन का एक महत्वपूर्ण कार्य था । इस समय के दौरान उन्होंने तलाजा और शेरीसा तीर्थ के जीर्णोद्धार की प्रेरणा दी । एकबार महाराजश्री स्वयं प्रस्ताव रखते तो लाभ लेने वाले श्रेष्ठियों के बीच स्पर्धा होती । महाराजश्री की वचनसिद्धि ऐसी थी कि वे कहें वैसा कार्य अवश्य होता था । अहमदाबाद की स्थिरता के दौरान प्रो. आनंदशंकर ध्रुव कवि नानालाल इत्यादि साक्षर महाराजश्री से मिलने आते थे । महाराजश्री की विद्वत् प्रतिभा से वे बहुत प्रभावित हुए थे । सिद्धाचल की यात्रा के मुंडकाकर के सामने असहकारः महाराजश्री अहमदाबाद से विहार कर भोंयणी, गांभु, चाणस्मा, इत्यादि स्थलों पर विचरण करते हुए पाटण पधारे ।। पाटण में उन्होंने चातुर्मास निश्चित किया था । इस चातुर्मास के दौरान एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटना बनी । अतीत में वि.सं. १९४२ में पालीताणा के ठाकुर और आनंदजी कल्याणजी की पेढी
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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