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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
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पालीनगर के श्री फूलचंदजी नाम के एक गृहस्थ को नियुक्त किया । इस तरह तीर्थ कुछ जीवंत और जागृत बना । महाराजश्री को लगा कि जैनों में इस तीर्थ की जानकारी हो तथा लोगों का भाव जागृत हो इसके लिए इस तीर्थ की यात्रा का एक संघ निकालना चाहिए । इसके लिए पाली के श्री किसनलालजी ने आदेश माँगा उसके अनुसार महाराजश्री ने संघ निकालकर कापरडाजी की ओर विहार किया । इससे कापरडाजी तीर्थ के जीर्णोद्धार के लिए महाराजश्री के गुजरात
और राजस्थान के अग्रगण्य भक्तों को कापरडाजी में प्रतिमाओं की पुनः प्रतिष्ठा करने की भावना जागी ।
संघ कापरडाजी पहुंचे तब तक मुनीम पनालालजी को चामुंडा माता की देहरी हटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी । जाट लोगों के विरोध के बीच उन्होंने समझदारी से चामुंडा माता की देहरी गढ में अन्यत्र हटवाई थी । अब भैरवनाथ की देहरी हटाने का प्रश्न था ।
कापरडाजी तीर्थ के जीर्णोद्धार की समस्या गंभीर . प्रकार की थी । जीर्णोद्धार के लिए फंड एकत्रित करना, जाट जाति के लोगों के बीच जीर्णोद्धार का कार्य करवाना और पशु-बलि रोककर देव-देवियों की देहरी हटकर पुनः स्थापित करवाना इत्यादि कार्य सरल न था ।
- महाराजश्री को वन्दन करने आनेवाले श्रेष्ठीयों को कापरडाजी तीर्थ में जीर्णोद्धार की प्रेरणा देने से थोडे दिन में उसके लिए एक