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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ५७ पालीनगर के श्री फूलचंदजी नाम के एक गृहस्थ को नियुक्त किया । इस तरह तीर्थ कुछ जीवंत और जागृत बना । महाराजश्री को लगा कि जैनों में इस तीर्थ की जानकारी हो तथा लोगों का भाव जागृत हो इसके लिए इस तीर्थ की यात्रा का एक संघ निकालना चाहिए । इसके लिए पाली के श्री किसनलालजी ने आदेश माँगा उसके अनुसार महाराजश्री ने संघ निकालकर कापरडाजी की ओर विहार किया । इससे कापरडाजी तीर्थ के जीर्णोद्धार के लिए महाराजश्री के गुजरात और राजस्थान के अग्रगण्य भक्तों को कापरडाजी में प्रतिमाओं की पुनः प्रतिष्ठा करने की भावना जागी । संघ कापरडाजी पहुंचे तब तक मुनीम पनालालजी को चामुंडा माता की देहरी हटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी । जाट लोगों के विरोध के बीच उन्होंने समझदारी से चामुंडा माता की देहरी गढ में अन्यत्र हटवाई थी । अब भैरवनाथ की देहरी हटाने का प्रश्न था । कापरडाजी तीर्थ के जीर्णोद्धार की समस्या गंभीर . प्रकार की थी । जीर्णोद्धार के लिए फंड एकत्रित करना, जाट जाति के लोगों के बीच जीर्णोद्धार का कार्य करवाना और पशु-बलि रोककर देव-देवियों की देहरी हटकर पुनः स्थापित करवाना इत्यादि कार्य सरल न था । - महाराजश्री को वन्दन करने आनेवाले श्रेष्ठीयों को कापरडाजी तीर्थ में जीर्णोद्धार की प्रेरणा देने से थोडे दिन में उसके लिए एक
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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