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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ५८ अच्छी रकम लिखी गई और काम भी प्रारंभ हो गया । महाराजश्री के हाथों प्रतिष्ठा करवाना भी निश्चित हो गया । इसके लिए तैयारियाँ प्रारंभ हो गई । ___कापरडाजी में महाराजश्री की निश्रा में वि.सं. १९७५ की महासुदी पंचमी को प्रतिष्ठा महोत्सव प्रारंभ हुआ । हजारो भावुक कापरडाजी पधारे । इतना भव्य उत्सव जाट लोगों को कष्टदायी हो स्वाभाविक ही था । उन्हें ये पसंद न था कि जैनों का तीर्थ उनके हाथ से पुन: जैनों के हाथ चला जाय । प्रतिष्ठा महोत्सव में विघ्न डालने के लिए जाट लोगों ने दंगा करने की गुप्त योजना बनाई थी । - प्रतिष्ठा महोत्सवकी एक विधि के दौरान एक जाट अपने बालक को लेकर भैरवनाथ की देहरी पर बाल उतरवाने के लिए प्रविष्ट हुआ । इसबात की जानकारी होते ही महाराजश्री ने श्रावकों से कहा कि उसे रोकना चाहिए नहीं तो प्रतिष्ठा विधि में अशातना होगी । प्रतिष्ठा महोत्सव से पूर्व राज्य से अनुरोध करके देरासरके आसपास पुलिस की कडक व्यवस्था की गई थी । बिलाडा के फौजदार इत्यादि भी कापरडाजी में उपस्थित थे । अत:जाट लोग सफल नहीं हो सकते थे । बालक के बाल उतरवाने के लिए इन्कार करते समय दंगा होने की संभावना थी । किन्तु सदभाग्य से नही हुआ । जाट लोग हिंसक आक्रमण के लिए योजना विचारते और उसकी अफवा फैलती । महाराजश्री के सिर पर मुसीबत मंडराने की
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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