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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
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की आवश्यकता थी । अतः शेठ श्री मनसुखभाई ने वह रकम अकेले ही देने की घोषणा की।
महाराज श्री ने चातुर्मास के लिए पांजरा पोल के उपाश्रय में प्रवेश किया । इस चातुर्मास के दौरान एक महत्व का कार्य महाराज श्री ने ये किया कि तीर्थ की रक्षा के लिए स्थापित आणंदजी - कल्याणजी की पेढी के ढांचे की पुनर्रचना में उन्होंने बहुत सुंदर मार्गदर्शन दिया ।
चातुर्मास के बाद थोडे समय में महाराज श्री के अनन्य भक्त मनसुखभाई का अचानक अवसान हो गया । इससे महाराज श्री का एक परम गुरुभक्त समाज ने खो दिया । उनके निधन के पश्चात उनके सुपुत्र शेठ श्री माणेकलाल भाई बहुत से महत्व के कार्यों मे उतनी ही उदारता से आर्थिक सहायत करने लगे ।
तत्पश्चात महाराज श्री विहार करते - करते कपडवंज पधारे । यहां उनका चातुर्मास निश्चित हुआ था । कपडवंज में महाराजश्री के तीन शिष्यों श्री दर्शनविजयजी, श्री उदयविजयजी तथा श्री प्रतापविजयजी को गणिपद प्रदान किया गया था । इस महोत्सव में इतने लोग कपडवंज आए थे कि रेल्वे को विशेष (स्पे.) ट्रेन की व्यवस्था करनी पडी थी । इस उत्सव में एक ऐसी चमत्कारिक घटना बनी कि बरसात के उन दिनों में वर्षा ही होती रहती थी किन्तु गणि पदवी की क्रिया के समय, नवकाशी के समय अचानक बरसात रूक गई और वह कार्यक्रम पूर्ण होते ही बरसात पुनः शुरु हो गई ।