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________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. दिया । पाप की प्रवृत्ति का व्यवसाय छोड देने से अन्य निर्दोष व्यवसाय में अधिक कमाई होती है, इस बात पर जोर दिया । सभी ने मछली न मारने की प्रतिज्ञा ली । उन्हें आजीविका में कोई मुसीबत हो तो सहायता करने का और उचित कामधंधे में लगाने का वचन नरोत्तमभाई ने दिया । मच्छीमारों के पास से मछली पकडने का जाल नरोत्तमभाई ने ले लिया । सभी जाल एकत्रित करके दाठा गाँव के बाजार में सबके बीच नरोत्तमभाई ने उसकी होली जलाई । मच्छीमार अन्य व्यवसाय में जुट गए और पैसे टके से सुखी हुए । यह हिंसा रोकने के अतिरिक्त महाराजश्री ने उस विस्तार के लोगों को उपदेश देकर नवरात्रि में पाडा, बकरा वध इत्यादि प्रथा बंध करवाई । ३७ अंतरीक्षजी विवाद : योग्य सलाह सूचन : इस दौरान महाराज श्रीको समाचार प्राप्त हुए कि श्री सागरजी महाराज अंतरीक्षजी तीर्थ में विवाद में फंस गए हैं । विवाद कोर्ट तक पहुंच गया है । यह जानकर महाराज श्री ने आणंदजी कल्याणजी की पेढ़ी के आगेवानों तथा कानून के निष्णातों ( कानूनगो) को बुलवाकर उन्हें उचित सलाह सूचना देकर अंतरीक्षजी भेजा इससे पेढ़ी को कोर्ट में केस लड़ने में सफलता प्राप्त हुई और सागरजी महाराज की मुसीबत दूर हूई । महाराज श्री दाठा से बिहार करते हुए महुवा पहुंचे और चातुर्मास वहीं किया । महुवा में चातुर्मास के दौरान महाराज श्री के
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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