SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शासन सम्राट : जीवन परिचय. ३८ संसारी माताश्री ने तथा छोटेभाई ने अच्छी धर्माराधना की । महाराजश्री की निश्रा में कुछ महत्वपूर्ण कार्य हुए और चातुर्मास के अंत में सिद्धाचल जी का संघ निकाला । कदम्बगिरि में कार्य सिद्धि : सिद्धाचल तीर्थ की यात्रा करके वि.सं. १९६६ में महाराजश्री अपने शिष्यों के साथ विचरण करते हुए बोदा के नेस पधारे । कोली, भरवाड इत्यादि लोगों के नेसडा जैसे गाँवों का यह विस्तार था । दरबार, गरासियों के अधिनस्थ ये गांव थे । बोदा के नेस अर्थात प्राचीन कदम्बगिरि का विस्तार । कदम्बगिरि अर्थात सिद्धगिरि बारह गांवों के विस्तार में आए पांच शिखरों में से एक शिखर । संप्रतिनामक तीर्थकर-भगवान के कदम्ब नामक गणधर भगवंत का एक करोड मुनियों के साथ इस गिरि पर निर्वाण हुआ था । तब से यह गिरि कदम्बगिरि के रूप में जाना जाता है । सिद्धाचल के बारह गांवों की जब प्रदक्षिणा होती थी तब उस प्रदक्षिणा में सबसे पहले कदम्बगिरि आता था । इस प्राचीन पुनित तीर्थ की ऐसी अवदशा देखकर उसका उद्धार करने की भावना महाराजश्री के हृदय में जागृत हुई । वे इस प्रदेश में भ्रमण कर चुके थे और अनेक लोगों को चोरी, खून, शराब द्यूत, तमाकु इत्यादि प्रकार के पापकार्यों से मुक्त करवाया था । अतः लोगों को महाराजश्री के प्रति आदरभाव बहुत था । इसलिए. महाराजश्री ने इस गांव के दरबार श्री आपाभाई कामलीया के समक्ष अपनी भावना व्यक्त की और उन्हें लेकर महाराजश्री शिखर पर गए और तीर्थोद्धार
SR No.002300
Book TitleShasan Samrat Jivan Parichay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamanlal C Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshv International Shaikshanik aur Shoudhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages96
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy