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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
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संसारी माताश्री ने तथा छोटेभाई ने अच्छी धर्माराधना की । महाराजश्री की निश्रा में कुछ महत्वपूर्ण कार्य हुए और चातुर्मास के अंत में सिद्धाचल जी का संघ निकाला । कदम्बगिरि में कार्य सिद्धि :
सिद्धाचल तीर्थ की यात्रा करके वि.सं. १९६६ में महाराजश्री अपने शिष्यों के साथ विचरण करते हुए बोदा के नेस पधारे । कोली, भरवाड इत्यादि लोगों के नेसडा जैसे गाँवों का यह विस्तार था । दरबार, गरासियों के अधिनस्थ ये गांव थे । बोदा के नेस अर्थात प्राचीन कदम्बगिरि का विस्तार । कदम्बगिरि अर्थात सिद्धगिरि बारह गांवों के विस्तार में आए पांच शिखरों में से एक शिखर । संप्रतिनामक तीर्थकर-भगवान के कदम्ब नामक गणधर भगवंत का एक करोड मुनियों के साथ इस गिरि पर निर्वाण हुआ था । तब से यह गिरि कदम्बगिरि के रूप में जाना जाता है । सिद्धाचल के बारह गांवों की जब प्रदक्षिणा होती थी तब उस प्रदक्षिणा में सबसे पहले कदम्बगिरि आता था । इस प्राचीन पुनित तीर्थ की ऐसी अवदशा देखकर उसका उद्धार करने की भावना महाराजश्री के हृदय में जागृत हुई । वे इस प्रदेश में भ्रमण कर चुके थे और अनेक लोगों को चोरी, खून, शराब द्यूत, तमाकु इत्यादि प्रकार के पापकार्यों से मुक्त करवाया था । अतः लोगों को महाराजश्री के प्रति आदरभाव बहुत था । इसलिए. महाराजश्री ने इस गांव के दरबार श्री आपाभाई कामलीया के समक्ष अपनी भावना व्यक्त की और उन्हें लेकर महाराजश्री शिखर पर गए और तीर्थोद्धार