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शासन सम्राट : जीवन परिचय.
२८ का भी योगदान महाराज श्री ने करवा दिया । इसी दौरान श्री दानविजयजी महाराज क्षय की बीमारी के कारण पालीताणा में कालधर्म को प्राप्त हुए । इस समाचार से महाराजश्री को अपने एक विद्या गुरु को खोने का दुःख हुआ । चातुर्मास पूर्ण होते ही महाराजश्री ने पंन्यासजी महाराज के साथ भावनगर की ओर विहार किया । प्लेग का उपद्रव, बीमारी : _ वि.सं. १९५९ का चातुर्मास महाराज श्री ने पंन्यास श्री गंभीरविजयजी के साथ भावनगर में किया । इस चातुर्मास के दौरान पंन्यासजी ने महाराज श्री को 'भगवती सूत्र' के बड़े योग में प्रवेश करवाय । इसी समय भावनगर में प्लेग का उपद्रव फैला हुआ था, अतः उन्हें वहां से अचानक प्रयाण कर शास्त्रीय मर्यादा के अनुसार • निकट के वरतेज गांव में जाना पड़ा । किन्तु वहां भी प्लेग के किस्से बढने लगे थे । स्वयं पंन्यासजी महाराज के दो शिष्यों को प्लेग की गांठ निकली । इससे पंन्यासजी महाराज चिंताग्रस्त हो गए। किन्तु महाराज श्री नेमिविजयजी ने उन दो शिष्यों का रात-दिन उपचार किया । जिससे उनकी गांठ गल गई और वे प्लेग से बचगए । किन्तु इस परिश्रम के कारण महाराज श्री को ज्वर हो गया । जो कम ही नहीं होता था । ये समाचार महाराज श्री के परमभक्त शेठ श्री मनसुखभाई भगुभाई को अहमदाबाद में मिले । उन्होंने फौरन तार करके भावनगर के एक डॉक्टर को वरतेज भेजा । इतना ही नहीं महाराजश्री का ज्वर कम हुआ या नहीं ये जानने के लिए एक दिन