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________________ 38 अशरणत्व आदि का प्रतिपादन है। उपसर्ग अध्ययन में संयम पालन में आने वाले उपसर्गों, विघ्नों या कष्टों का वर्णन है। स्त्री परिज्ञा अध्ययन में साधुओं को स्त्रीजन्य उपसर्ग को आत्मबल के साथ सहन करना चाहिए और उनका निवारण करना चाहिए। द्वितीय श्रुतस्कंध में सात अध्ययन हैं। पुंडरीक अध्ययन में इस लोक को पुष्करणी की उपमा दी गई है। तद् जीव, तज्जशरीर, पंच महाभूत, ईश्वर तथा नियतिवाद का खंडन किया गया है। साधु को अशन, पान, खाद्य, स्वाद्य आदि पदार्थों को मर्यादा, नियम और विरक्ति भाव के साथ ग्रहण करना चाहिए। क्रियास्थान अध्ययन में क्रिया स्थानों का, आहार परिज्ञा अध्ययन में वनस्पतियाँ, जलचर तथा पक्षी आदि का और प्रत्याख्यान के अध्ययन में जीव हिंसा हो जाने पर प्रत्याख्यान की आवश्यकता का विवेचन है। आचारश्रुत अध्ययन में साधुओं के आचार का वर्णन है। सातवें अध्ययन का नाम नालंदीय अध्ययन है। गौतम गणधर नालंदा में लेप नामक गृहपति के हस्तीयाम नाम वनखंड में ठहरे थे। यहाँ भगवान पार्श्वनाथ के शिष्य उदक पेढालपुत्र के साथ विचार विमर्श हुआ। परिणाम स्वरूप उदक पेढालपुत्र ने चातुर्याम धर्म के स्थान पर पाँच महाव्रत स्वीकार किये।७९ आचार्य भद्रबाहु ने सूत्रकृतांग सूत्र पर नियुक्ति की रचना की। जिनदास महत्तर ने इस पर चूर्णि लिखी। आचार्य शीलांक ने संस्कृत में इस पर टीका की रचना की। मुनि हर्षकुल और साधुरंग ने दीपिकायें लिखी। भाषा और विवेचन की दृष्टि से आचारांग सूत्र की तरह यह भी बहुत महत्त्वपूर्ण है। डॉ. हर्मन जेकोबी ने इसका अग्रेजी में अनुवाद किया। ३) स्थानांगसूत्र यह तीसरा अंग हैं। इसमें अन्य आगमों की तरह उपदेशों का संकलन नहीं है, किंतु यहाँ स्थान या संख्या के क्रम से लोक में प्रचलित एक से दस तक की विभिन्न वस्तुएँ गिनाई गईं हैं। साधु-श्रावक के आचार गोचर का कथन है। यह शास्त्र विद्वानों के लिए बड़ा चमत्कार जनक है। __स्थानांग सूत्र में कर्मप्रकृतिसूत्र, कर्माशसूत्र, कर्मावस्थासूत्र, महत्तकर्म, अल्पकर्म, कर्मबंधसूत्र, संवर-असंवर सूत्र आदि का विस्तृत विवेचन है। बौद्ध साहित्य में अंगुत्तरनिकाय इस प्रकार का ग्रंथ है।
SR No.002299
Book TitleJain Darm Me Karmsiddhant Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhaktisheelashreeji
PublisherSanskrit Prakrit Bhasha Bhasha Vibhag
Publication Year2009
Total Pages422
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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