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___36 किया गया है। उनके बारह अंग माने गये हैं। जिनमें जैन धारा दार्शनिक, धार्मिक, नैतिक आदि विभिन्न रूपों में प्रवाहित होती है। आचार प्रभृति आगम में श्रुत पुरुष का अंगस्थान में होने से अंग इस प्रकार पहचाने जाते हैं।७२ मूलाराधना७३ में भी यही कहा है।
आगम पुरुष में आचारांग उसके शीर्ष (मस्तक) स्थानीय है। जिस प्रकार हाथ पैर आदि अंग मनुष्य के शरीर को संचालित करते हैं, वैसे ही आगम धार्मिक जीवन को संचालित करते हैं। उसी प्रकार से यहाँ आगम श्रुत ज्ञानरूपी पुरुष के विविध अंगों का संक्षेप में वर्णन किया जा रहा है। १) आचारांग ___ आचारांग सूत्र का बारह अंगों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसलिए विद्वानों ने इसको अंगों का सार कहा है।७४ साधुओं और साध्वियों की आचार परंपरा का इसमें विस्तार से वर्णन किया गया है। ___ यह दो श्रुतस्कंधों में विभक्त है। पहले श्रुतस्कंध में नौ अध्ययन हैं। वे ब्रह्मचर्य आचारचर्या कहलाते हैं। इसमें चवालीस उद्देशक हैं।
इसके प्रथम अध्ययन का नाम उपधानश्रुत है। इसमें भ. महावीर की कठोर साधना और तपश्चर्या का वर्णन है। जब भगवान लाढ देश में वज्रभूमि तथा शुभ्रभूमि नामक स्थानों में विचरण कर रहे थे, तब उन्हें अनेक प्रकार के उपसर्गों-कष्टों को सहन करना पड़ा। वहाँ के लोग उन्हें मारते, पीटते, दाँतों से काट लेते थे। उनको वहाँ लूखा-सूखा आहार प्राप्त होता था। वहाँ लोग उनके पीछे कुत्तों को छोडते थे। कभी कोई व्यक्ति कुत्ते से बचाता था।७५ निषधकुमार चरित्र में भी यही बात है।७६ स्थानांग सूत्र के नौंवे स्थान में भी उपसर्ग सहन का पाठ आता है।७७ . जब भोजन या स्थान (वसति) के लिए भगवान महावीर किसी गाँव में पहुँचते तो, गाँव में रहनेवाले लोग मारते, पीटते और कहते यहाँ से दूर चले जाओ। वे उनको दंडों से, मुक्कों से, भालों की तीखी नोंक से, मिट्टी के ढेलों से या कंकरों से उन पर प्रहार करते तथा बहुत कोलाहल करते। कभी-कभी उनके शरीर का मांस नोंच लेते। उनके ऊपर धूल बरसाते। उन्हें ऊपर उठाकर नीचे पटक देते। आसन से गिरा देते किन्तु भगवान महावीर शरीर का ममत्व त्यागकर सब सहते हुए अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहते।७८
दूसरे श्रुतस्कंध में सोलह अध्ययन हैं। तीन चूलिकाओं में विभक्त है। पिंडैषणा नामक अध्ययन में साधु-साध्वियों के आहार विषयक नियमों का विस्तार से वर्णन है। . शैया अध्ययन में आवास स्थान के गुणदोषों का तथा गृहस्थ के साथ रहने में लगने वाले दोषों का वर्णन है।