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और जीव को कैसे परतंत्र बनाते हैं इसका वर्णन विशेष प्रकार से किया गया है।
घुड़दौड़ के मैदान में जब रेस के घोड़े दौड़ते हैं, तब उनमें बड़ी रस्साकसी चलती है, घोड़ा सबसे अधिक तेजीला और फुर्तीला होता है, वह आगे बढ जाता है और बाजी जीत जाता है। कुछ उससे कम फुर्तीले घोड़े होते हैं, वे दूसरे नंबर पर आ जाते हैं। जो घोड़े फुर्ती होते हैं वे दूसरे घोड़ों को आगे आने नहीं देते किन्तु जो घोड़े कमजोर और सुस्त हो हैं, वे दिखने में भले ही हृष्ट पुष्ट दिखते हैं, रेस कोर्स में वे आगे नहीं बढ़ पाते उनकी प्रगति तीव्र नहीं होती, इसलिए वे दूसरे घोड़े को आगे बढ़ने देते है, स्वयं उसमें किसी प्रकार की बाधा नहीं डालते ।
इसी प्रकार जीवों के जीवन में कर्मबंधों की भी घुड़दौड़ चलती रहती है। कर्मों की घुड़दौड़ में कई कर्म ऐसे होते हैं, जिनकी प्रकृतियाँ तीव्र और फुर्तीली गतिवाली होती हैं, वे बंध, उदय और बंधोदय में दूसरे कर्मों को रोक देती हैं, और स्वयं, अपना बंध, उदय और बंधोदय करती हैं। जबकि कुछ कर्म ऐसे होते हैं, जिनकी प्रकृतियाँ ऐसी होती हैं।
समस्त विश्व कर्म के अटल नियम के अनुसार चल रहा है। कर्म-कानून की यह सबसे बड़ी विशेषता है कि इसमें किसी के लिए रु- रियायत या मुलाहिजा नहीं होता । विश्व के समस्त कानूनों में कोई न कोई अपवाद होते हैं; धार्मिक नियमों और आचार संहिताओं में भी उत्सर्ग और अपवाद होते हैं मगर कर्म के कानून में प्राय: अपवाद नहीं होता ।
कर्म एक ऐसी ऊर्जा अथवा शक्ति है जो समस्त प्राणियों की वृत्ति प्रवृत्ति को संचालित करती है। विशेष रूप से कहना होगा मनुष्य की यह विवशता अथवा अनिवार्यता है कि उसे सक्रिय रहना ही पड़ता है। इस क्रियाशीलता की प्रेरक शक्ति है 'कर्म' । इसी अपेक्षा से कर्म की सत्ता विश्वव्यापी भी है और बलवती भी है। यह स्पष्ट है, कोई भी क्रिया निष्फल नहीं होती । क्रिया की प्रतिक्रिया और प्रतिक्रिया की पुन: क्रिया, यह प्रक्रिया जन्म से मृत्यु तक सतत रूप से चलती है।
प्रकरण : ६
कर्मों से सर्वथा मुक्ति : मोक्ष
इस प्रकरण में कर्म का प्रवेश जीव में कैसे होता है, आस्रव की व्याख्या, आस्रव के भेद-प्रभेद, कर्म का संवरण, संवर, संवर की व्याख्या, आस्रव-संवर में अंतर, निर्जरा का अर्थ, तप का महत्त्व, बंध का स्वरूप, मोक्ष का स्वरूप, जैन दर्शन में मोक्ष आदि विषयों का विशेष विश्लेषण किया गया है।
जैन दर्शन मोक्षवादी दर्शन है। वह आत्मा की परम विशुद्ध स्वभाव दशा में विश्वास