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८६. गीता रहस्य, पृ. ५५-५६ .८७. भगवद्गीता, अ. ५ श्लो. ८-११ ८८. अंगुत्तर निकाय कर्मविज्ञान भाग-१, पृ. ३५८ ८९. जैन कर्मसिद्धांत का तुलनात्मक अध्ययन (डॉ. सागरमल जैन)
कर्मविज्ञान भाग-१, पृ. ३५९ ९०. बौद्ध धर्मदर्शन (आचार्य नरेन्द्र देव), पृ. २४९ ९१. किरइ जिएण हेउहि जेण तो भण्णए कम्म। गा. १
कर्म ग्रंथ प्रथम भाग, (पू. मरुधर केसरी मिश्रीलालजी) ९२. कर्मसिद्धांत (जिनेन्द्रवर्णी), पृ. ४२ ९३. काय वाङ्मन: कर्म योगः। तत्त्वार्थसूत्र (उमास्वातीजी), अ. ६ सूत्र - १ ९४. ते तिविहे मणप्पओ कम्मं ..... केवलीणं वा।
षट्खण्डागम १३/५, ४ था सूत्र १६-१७ .९५. कर्म मीमांसा (पं. फूलचंद्र सिद्धांतशास्त्री), पृ. १६, १७ ९६. कर्मवाद (आचार्य महाप्रज्ञ), पृ. १९३ ९७. यथा भाजन विशेष...... परिणामो वेदितव्य।
तत्त्वार्थ राजवार्तिक (अकलंकदेव), पृ. २९४ ९८. कर्म मीमांसा, प्रस्तावने, पृ. १७ ९९. भाववन्तौ क्रियावन्तौ ..... धारावाह्येक वस्तुनि ।।
पंचाध्यायी (राजमल्ल), अ. २/२५, २६, ४२ . १००. जैन कर्मसिद्धांत का तुलनात्मक अध्ययन (डॉ. सागरमल जैन), पृ. १२ १०१. विधि स्रष्टा विधाता च .... कर्म वेघसः (आदिपुराण, महापुराण), ४/३७ १०२. अभिकर्म-कोष- परिच्छेद - ४ १०३. ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्य - २/१/१४ १०४. सांख्यदर्शन (कर्मविज्ञान भाग-१), (उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. ३६४ १०५. सांख्य कारिका (कर्मविज्ञान भाग-१), (उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. ३६४ १०६. सांख्य तत्त्व कौमुदि (कर्मविज्ञान भाग-१),
(उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.) पृ. ३६४ १०७. योगदर्शन (व्यास भाष्य), १-५-२-३-२-१२-२-१३ १०८. न्याय भाष्य, १/१/२ १०९. न्याय सूत्र, १/१/१७. ४/१/३-९ ११०. न्याय मंजरी, पृ. ४७१-४७२ १११. एवं च क्षण .... धर्माधर्मगिरोच्यते ॥ न्याय मंजरी, पृ. ४७२ ११२. मीमांसा सूत्र शांकर भाष्य, २/१/५ ११३. तंत्र वार्तिक, २/१/५
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