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११४. शास्त्र दीपिका, २/१/५, पृ. ८० ११५. अदृष्ट: कर्म संस्कारा: .... कीर्तिताः ।। शास्त्रवार्ता समुच्चय, पृ. १०७ ११६. उम्मु च पास इह मच्चएहि।..... आचारांगसूत्र ११७. तया धुणई कम्मरय। दशवैकालिक सूत्र, ४/२० ११८. स निद्धणे घुतमल पुरे कड । दशवैकालिक सूत्र, ७/५७ ११९. बाईबल (कर्मविज्ञान भाग-१), (उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. ३६५ १२०. कुरान सरीफ (कर्मविज्ञान भाग-१, (उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. ३६५ १२१. जैन कर्मसिद्धांत का तुलनात्मक अध्ययन (डॉ. सागरमल जैन), पृ. १३ १२२. पोग्गलपिंडो दव्व तस्सति भावकम्म तू।
गोम्मटसार कर्मकाण्ड, (आचार्य नेमिचंद्र), ६/५/६ १२३. कर्मवाद : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन, जिनवाणी कर्म सिद्धांत विशेषांक में
(उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. २६ १२४. कर्मग्रंथ भाग - १ प्रस्ता. (पं. सुखलालजी), पृ. १९-२१ १२५. तत्त्वार्थसार, ५/२४/९ .१२६. ज्ञान का अमृत (पं. ज्ञानमुनिजी), पृ. १० १२७. कर्म सिद्धांत (जिनेन्द्र वर्णी), पृ. ४३ १२८. कर्मवाद : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन, जिनवाणी कर्म सिद्धांत विशेषांक में
(उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.) पृ. २५ १२९. आत्म मीमांसा (पं. दलसुख मालवणिया), पृ. ९५ १३०. पंचास्तिकाय (आचार्य कुंदकुंद), गा. ६४ १३१. पंचास्तिकाय की टीका (आचार्य अमृतचंद) १३२. जैनदर्शन और आत्मविचार (डॉ. लालचंद्र जैन), पृ. १८४ १३३. जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भाग - ४ (मोहनलाल मेहता), पृ. ५ १३४. कर्मग्रंथ, भाग - १ (मरुधर केसरी पू. मिश्रीलाल म.सा.), पृ. ५५, ५६ १३५. गणधरवाद की प्रस्तावना (प. दलसुखभाई मालवणिया), पृ. ८१ .१३६. समणसुत्तं (संस्कृत छाया - बेचरदास दोशी), पृ. २० १३७. कर्मवाद : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन, (उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. २६ १३८. आत्म मीमांसा, पृ. ९७ १३९. रागो य दोसो वि य कम्मबीय।
___ उत्तराध्ययन सूत्र (संपा. मधुकरमुनिजी), अ. ३२ गा. ७ १४०. ज्ञान का अमृत (पं. ज्ञानमुनिजी), पृ. २० १४१. आत्म मीमांसा, पृ. ९८ १४२. समणसुत्तं (संस्कृत छाया - बेचरदास दोशी), पृ. २० १४३. कर्मग्रंथ, भाग - १ (मरुधर केसरी पू. मिश्रीलाल म.सा.), पृ. ५५, ५६