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५८. कालो सहावणियई ... हुति सम्मतं ।।
सन्मति तर्क प्रकरण, (आचार्य सिद्धसेन दिवाकर), पृ. ३, ५३ ५९. अत: कालादय: सर्व समुदायेन कारणम्।
गभदिः कार्यजातस्य विज्ञेया न्यायवादिभिः॥
न चैकेकत .... जनिका मता। शास्त्रवार्ता समुच्चय २/७९-८० ६०. जैनदर्शन (डॉ. महेंद्र न्यायाचार्य), पृ. ८०-८१ ६१. जैनदर्शन (डॉ. महेंद्र न्यायाचार्य), पृ. ८५ ६२. जैनदर्शन (डॉ. महेंद्र न्यायाचार्य), पृ. १०५ ६३. जंबूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र (संपा. युवाचार्य मधुकरमुनि म.सा.), प्रस्तावना, पृ. ३१ ६४. संवच्छरेण भिक्खा ..... लोगनाहेण॥
समवायांग सूत्र (युवाचार्य मधुकरमुनि म.सा.), पृ. १५७ ६५. कर्मविज्ञान भाग-१, (उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. ३४० ६६. जैनदृष्टि कर्म पृ. २१ ६७. उद्यमेन हि सिद्धति ........ मुखे मृगाः। हितोपदेश, ६८. अंतकृतदशा (संपा. युवाचार्य मधुकरमुनि म.सा.), वर्ग - ६ पृ. १२५-१२७ ६९. कर्मविज्ञान भाग-१, (उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. ३४७ ७०. कर्मवाद (युवाचार्य महाप्रज्ञजी), पृ. १३० ७१. यत् क्रियते तत्कर्म, षटखण्डागम, भाग १ (पं. बालचंद्र सिद्धांतशास्त्री), पृ. १८ ७२. योगो व्यापारः कर्म क्रियतेत्यनर्थान्तरम्। विशेषावश्यक भाष्य (हुकुमचंद्र भारिल्ल), ७३. 'कर्म नो सिद्धांत' (हीराभाई ठक्कर), पृ. ३ ७४. कर्ममीमांसा, पृ. २ ७५. उपासकदशांग सूत्र (संपा. मधुकरमुनिजी), अ. १ ७६. जीवीकार्ये आरंभे। (पंचाशक विवरण -१) ७७. कम्माणि तणहार गादीणि। आचारांगचूलिका अ. १ ७८. कम्मं जमणायरिओवदेसज...... भेयवा।।
अभिधान राजेन्द्रकोष 'कम्म' शब्द पृ. २४४ ७९. अनाचार्यक कर्म,..... नित्य व्यापारः। भगवतीसूत्र, श. १२/३, प्र. वृत्ति ८०. आत्म संयोग प्रयत्नाभ्या हस्ते कर्म। वैशेषिक दर्शन ८१. उत्क्षेपण ..... पंच च। न्यायसिद्धांत मुक्तावली - ६ ८२. कर्तुरीप्सिततमं कर्म (पाणिनिकृत अष्टाध्यायी), १/४/४९ ८३. आत्म मीमांसा (पं. सुखलालजी मालवणिया)
कर्मविज्ञान भाग-१, (उपाचार्य देवेन्द्रमुनिजी म.सा.), पृ. ३५७ ८४. ज्ञान का अमृत (पं. ज्ञानमुनिजी म.); कर्मविज्ञान भाग-१, पृ. ३५७ ८५. धर्म निर्णय सिंधु। कर्मविज्ञान भाग-१, पृ. ३४७
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