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________________ समवायांग सूत्र - १२ / ५११ पृ. १७१ जैन तत्वप्रकाश : ( अमोलक ऋषिजी महाराज) - पृ. २९ २१) जैन साहित्य का बृहद् इतिहास : भाग - १ पृ. ५४ जैनेंद्र सिद्धांत कोश : भाग २ - पृ. २१२ २२) कम्मुणो बम्भणो होइ, कम्मुणा होइ खात्तिओ । सो कम्मुणा होई सुहृहो हवइ कम्मुणा ॥ उत्तराध्ययन सूत्र - अ - २५ गाथा ३३ पृ. ४३० १९) २०) a २३) २४) २५) २६) २७) २८) २९) /३०) ३१ ३२) ३३) ३४) सक्खं खुदीसइ तवो विसेसो न दीसइ जाइ विसेस कोइ । सेवागपुत्ते हरिएस साहू जस्सेरिस्सा शड्ढि महाणुभागा उत्तराध्ययन सूत्र - अ - १२ गाथा ३७ महाभारत की सुक्तियाँ (सूक्ति त्रिवेणी ) ( उपाध्याय अमरनुमनि) अ || श्लो. १३ भारतीय धर्मों में मुक्ति विचार, पृ. २६, २७ तीर्थंकर (मासिक) (णमोकार मंत्र विशेषांक - १) वर्ष १० अंक ७, ८ नवम्बर दि.१९८० पृ. ७४ क- स्थानांग सूत्र : (युवाचार्य मधुकर मुनि) ६ / २३/२४ पृ. ५४० ख - जंबूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र वक्षष्कार सूत्र - २५ - पृ. २७ क) जैनतत्व प्रकाश : पृ. ८४-१०३ ख) जैनागम स्तोक संग्रह - पृ. १४५ स्थानांग सूत्र - ६ / २३-२४ पृ. ५४० • जैनथोक संग्रह - भाग २ ( धींगडमलजी गिड़िया) पृ. २२५ क) यंत्र-मंत्र-तंत्र विज्ञान : भाग २ - पृ. ३४ ख) आगम के अनमोल रत्न : पृ. २, पृ. २५२ 911.9 श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह : भाग ६ पृ. १७७, १७८ क) बड़ी साधुवंदना पद - १ ख) वंदनीय साधुजनो - पृ. १ प्रमाण नय तत्वालोक : अध्याय ४, सूत्र १, २ (६१)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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