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________________ ३५) आवश्यक निर्युक्ति - गाथा ९२ ३६) जैन आगम साहित्य मनन और मीमांसा, पृ. ३-१० ३७) भाषा विज्ञान : (डॉ. भोलानाथ तिवारी) पृ. १७८ ३८) क) समवायांग सूत्र - समवाय ३४, सूत्र २२ 38 ख) भगवई लाडनुं, शतक ५, उद्देशक ४, सूत्र ९३39 ग) भगवई लाडनुं, शतक ९ उद्देशक ३३ सूत्र १४९ घ) आचारांग चूर्णि (जिनदास गणि) पृ. २५५ ४० ३९) ४०) ४१) ४६) ४२) ४३) अनुयोग द्वारा : ( युवाचार्य मधुकर मुनिजी) - सूत्र ४२ ४४) स्थानांग सूत्र : ( युवाचार्य मधुकर मुनिजी) - ३३८ ४५) 1 नवकार - प्रभावना पृ. ७ क) दशवैकालिक वृत्ति - पृ. २२३ ४७) ४८) ४९) ५०) ख) नवकार प्रभावना - पृ. ७ क) आगमेत्ता आणवेज्जा आचारांग सूत्र : ( युवाचार्य मधुकर मुनि) १/५/४ ख) लाघवं आगममाणे आचारांग सूत्र : ( युवाचार्य मधुकर मुनि) १ / ६ / ३ ग) साहित्य और संस्कृति (ले. आ. देवेन्द्रमुनि शास्त्री) पृ. २ भगवती सूत्र : (युवाचार्य मधुकर मुनिजी) ५/३/१९२ स्याद आप्तवचनादि विर्भूत संवेदन मागम : उपचारादाप्त वचनंच स्यिवाद मंजरी टीका, श्लोक ३८ आ - अभिविधिना सकल श्रुत विषय व्याप्ति रुपेण मर्यादया वा अर्थाः येनसः आगमः॥ आ.मलयूगिरी रत्नाकर वतारिका वृत्ति विशेषावश्यक भाष्य ५५९ श्री उत्तराध्ययन सूत्र ( गुजराति अनुवाद - दुर्लभजी खेताणी) प्रस्तावना क) आगम युग जैन दर्शन पृ. १५-१६ - (६२)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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