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तथा महामंत्र नवकार रुपी स्टियरिंग - व्हील अनिवार्य है इसलिए वैज्ञानिक प्रगति के साथ तात्विक प्रगती होना भी आवश्यक हैं।
विश्व के देशोंमें भारत एक ऐसा देश है, जिसकी अपनी विलक्षण विशेषताएँ हैं। अन्य देशोंमें जहाँ गौरव और महत्त्व उन लोगों का रहा, जिन्होंने विपुल वैभव और संपत्ति अर्जित की उच्च, उच्चस्तर सत्ता और अधिकार हस्तगत किया अधिक से अधिक वैभव एवं विलासोपयोगी साज सामान का संग्रह किया किंतु इस देशमें सर्वाधिक पूजा, प्रतिष्ठा और सम्मान उनका हुआ, जिन्होंने समस्त जागतिक संपत्ति, भोगपभोगों के उपकरणों का परित्याग कर अकिंचनता का जीवन अपनाया । अपरिग्रह, संयम तपश्चरण का और योग का मार्ग स्वीकार किया।
भारतीय चिंतन धारामें भोग - वासनामय जीवन को उपादेय नहीं माना। भोगों को जीवन की दुर्बलता स्वीकार किया। भोग जनीत सुखों के साथ दु:खों की परंपराओं जुड़ी रहती है, इसलिए यहाँ के ज्ञानियों के ऐसे आध्यात्मिक सुखोंकी खोज की, जो परपदार्थ निरपेक्ष और आत्म सापेक्ष है।
भारतका गौरवमय इतिहास उन ऋषि मुनियों, ज्ञानियों, योगियों और साधु संतोंका इतिहास हैं। जिन्होने परम प्राप्तिकी साधनामें अपने को लगाया। साथ ही साथ जन-जन को कल्याण का संदेश दिया। सदाचार, नीति,सच्चाई और सेवा के पथ पर अग्रसर होने की प्रेरणा दी। यह सब तभी फलित होता है, जब जीवन भोगोन्मुखता से आत्मोन्मुखता की ओर मुड़े।)। __ भारतमें अध्यात्मिक एवं धार्मिक दृष्टिसे साधु का बड़ा महत्त्व है, जो अपना और दूसरों का कल्याण हितका श्रेयस करता है। जैन धर्म में साधु के लिए श्रमण और निग्रंथ शब्द भी प्रयोग में आते हैं।
जैन धर्म का नवकार महामंत्र सर्वश्रेष्ठ है । सबके मन में नवकार मंत्र के प्रति अत्याधिक श्रध्दा और आदर है। इस महामंत्र में अरिहंत, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधुओं को नमस्कार किया गया है। साधु इनमें पाँचवा पद हैं। वह नवकार मंत्र का मूल है, क्योंकि उपरके पदोंमें सर्वत्र साधुत्वकी विद्यमानता हैं । वे उसके उत्कृष्ट रुप और पद हैं। नवकार मंत्र में आया हुआ साधु पद बड़ा व्यापक अर्थ लिए हुए हैं। वह बाहरी वेष या संप्रदायकी सीमाओं से बँधा हुआ नहीं है। वह तो अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह के साथ जुड़ा हुआ है। जो व्यक्ति इन गुणों को अपने जीवन में स्विकार करते हैं वे साधु है।
मुझे यह प्रगट करते हुए बड़ा आत्मपरितोष होता है कि मैने लगभग पैंतीस वर्ष पूर्व जैन साधना का संयममय साधु पथ स्वीकार किया । परमपूजनीय श्रमण संघके आचार्य सम्राट