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________________ अर्थशास्त्र की दृष्टि से नवकार मंत्र ___अर्थशास्त्र का मूलभूत सिद्धांत कम से कम मेहनत और ज्यादा से ज्यादा फल के साथ संबंध है - The fundamental principle of Economics is minimum effort and maximum resultL अर्थशास्त्र का Time Limitation (समय मर्यादा) के साथ भी संबंध है। अर्थशास्त्र की दृष्टि से सबसे पहले अर्थाशास्त्र का सिद्धांत - अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। इसका विवरण यह है कि कम से कम प्रयत्न या उद्यम करना पड़े और अधिक से अधिक फलप्राप्ति हो । अर्थशास्त्र का इस प्रकार समय के साथ गहरा संबंध है । इसकी तुलनामें नवकार मंत्र में सहजरुपमें अल्पसमय में विराट एवं शास्वत फल प्राप्त होता है। नमस्कार मंत्र की आराधना की प्रक्रिया अनंतगुणा शाश्वत फल प्रदान करती है । परम उपकारी भगवान महावीर द्वारा बताये गये इस महामंत्र नवकार मंत्र का स्मरण सबसे अधिक लाभप्रद है। ____ वर्तमान जगत में अधिक से अधिक धन उपार्जित करनेवाला मनुष्य अपने समग्र जीवनमें जितना धनोपार्जन करता है, उसकी अपेक्षा असंख्य गुणाधिक लाभ नवकार मंत्र का आराधक केवल चार सेकंड में प्राप्त कर लेता है। द्रव्य या धन प्राप्ति से सांसारिक सुख या भौतिक सुख की प्राप्ति अवश्य हो जाती है लेकिन शाश्वत सुख और शांति तो नवकार मंत्र की आराधना से मिल सकती है। अर्थशास्त्र की दृष्टि से संसारमें सबसे अधिक प्रभावशाली और सुखदाता नमस्कार महामंत्र ही है। यह Eeonomically effective नवकार मंत्र है।३४१ न्यायतंत्र और नमस्कार मंत्र : इस जगत की व्यवस्था शासक और शासित के रुपमें चलती है। विशालजन समुदाय शासित होता है और उसे नियम और विधि विधान के अनुसार चलाया जाता है। वैसा न होने पर व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाती है। समाज और राष्ट्र चल नहीं पाते । राष्ट्र में नीति, सदाचार और समुचित व्यवहार का पालन करने के लिए न्यायतंत्र का बहुत बड़ा महत्त्व है। न्यायतंत्र कानून के सिद्धांतों पर टीका हुआ है। (Law of Justice) नमस्कार मंत्र कर्म सिद्धांतों के तंत्र पर आश्रित है। कर्मवाद का न्याय इतना उंचा है कि - कानून का न्याय वहाँ पहुँच भी नहीं सकता है। कानून के सिद्धांत पर तो प्रमाण वगेरे न (२८४)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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