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बहुत कम है। इसकी तुलना में नमस्कार मंत्र के प्रथम पदमें स्थित अरिहंत भगवान द्वारा भूत, भविष्य वर्तमान विषयक अभिव्यक्ति उससे अनंतगुणा महत्त्वपूर्ण हैं। अरिहंत परमात्मा के दिव्यज्ञान की तुलनामें ज्योतिषी का ज्ञान नगण्य है।३३६
दूसरी बात यह है कि - ज्योतिषीद्वारा ज्ञात कथ्य अन्यथा भी सिद्ध हो सकते हैं क्योंकि, वहाँ ग्रह, राशि, मुहुर्त, योग आदि की गणना में त्रुटी भी हो सकती है। त्रुटी होने से फलादेश में भी त्रुटी हो सकती है। सर्वदर्शी, सर्वज्ञानी, तीर्थंकर द्वारा प्रतिपादित त्रिकालविषयक तथ्य कभी अन्यथा नहीं होते, क्योंकि उनके ज्ञान को आवृत्त करनेवाले कर्मों का सर्वथा क्षय हो चुका है। नमस्कार मंत्र लौकिक ज्योतिष से विलक्षण आध्यात्म ज्योतिषका प्रतीक है और जीव अतीत, वर्तमान और भविष्य की समग्र विसंगतीयोंसे विमुक्त हो जाता है।३२७ राजनैतिक दृष्टि से नमस्कार मंत्र -
आज साधारण से साधारण मनुष्य के मन पर राजनीति व्याप्त है। दलगत राजनीति, राष्ट्रपति प्रणाली सदैदीय लोकमत्र, साम्यवाद, समाजवाद आदि उसके अनेक रुप हैं। लौकिक साम्राज्य की तरह धर्म का भी अपना साम्राज्य है।३३८ ।
नमस्कार मंत्र धर्मसाम्राज्य का प्रतिनिधित्व करता है और अपनी रक्षा के लिए संयम, संतोष, त्याग, वैराग्य, क्षमा, निर्वेद, संवेग, समत्व आदि आत्मगुणों की विशाल सेना से सुसज्जित है। राग-द्वेष और मोह का अब यहाँ कोई स्थान है ही नहीं। इसलिए धर्मसाम्राज्य अपराजेय है। धर्म चक्र चारों दिशाओंमें व्याप्त है और अरिहंत, तीर्थंकर देव धर्मसाम्राज्य का अधिनायक है। उसे अरिहंत तीर्थंकर देव कहते हैं । इसिलिए इन्हें 'धम्मवर चाउरंत चक्कवट्टी'३३९ कहा गया है।
.. लौकिक शासन तंत्र में अनेक प्रकार के संकट आते हैं ।राजकीय अस्थिरता प्रतिदिन आतीजाती है और लोगोंको अनेकों कठीनाईयोंका सामना करना पड़ता है।
विश्व की महासत्ताों अपने साम्राज्य को बढ़ाने की लालसामें अन्य देशों पर बूरी निगाह से दृष्टिपात करते हैं और युद्ध भी छेड़ देते हैं। महाविनाशकारी युद्ध के साधनोंसे आज सारे विश्व में भय का आतंक मचा हुआ है। मानव संस्कृति और मानव जीवन गहरे संकट में पड़ गये है। सुख और शांति के लिए मनुष्य को भरसक प्रयत्न करना पड़ता है, जबकि अरिहंत के शासन में ऐसी कोई समस्या नहीं है। नवकार मंत्र विश्व के प्रत्येक जीव को शांति और मैत्री का सुख और आनंद का सरलता से अनुभव कराता है और शांति से समाधि की ओर ले जाने की राह दिखाता है।३४०
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