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________________ पर भी उनकी विशुद्धि हो जाती है । किसी का बूरा करने का भाव विदा ले लेता है और व्यक्ति नये कर्म बंधनों से आसानी से बच सकता है। परम शांति और सुख का अनुभव होना मंत्रकी सबसे बड़ी शक्ति है, ताकात है। नवकार मंत्र की महिमा मे कारण ही मंत्रों की अनंतता बनी है। संसार के प्रमुख धर्मोंकी साधना पद्धतियोंमें मंत्र का माहात्म चिरस्थाई है। नमस्कार यह आत्मा के पूर्ण चैतन्य का प्रवेशद्वार है।३२० "(Namaskar is an entrance into abandant energy.)” “नवकार मंत्र यह आत्मा के दिव्य खजाने की चाबी है।" (A key to Cosmic Secret) योगशास्त्र में नवकार मंत्र - योगशास्त्र की दृष्टि से देखा जाए तो पदस्थ ध्यान के लिए इसमें परम पवित्र पदों की आलंबन है। ३२१ ज्ञानार्णव आदि योग विषयक ग्रंथोंमें भी इसका विशद विवेचन हुआ हैं।३२२ जिस प्रकार धन की रक्षा के लिए तिजोरी, शरीर की रक्षा के लिए वस्त्रादि महत्त्व हैं उसी प्रकार मन की रक्षा के लिए ध्यान की, एकाग्रता के लिए यह महामंत्र अत्यंत आवश्यक हैं।३२३ RA. आगम साहित्य में नवकार मंत्र - आगम साहित्य - आगम साहित्य की दृष्टि से सभी श्रुत-साहित्य में आभ्यंतर तप समाविष्ट है और इसलिए तो नमस्कार महामंत्र को चौदहपूर्व का सार भी कहा गया है और महाश्रुत स्कंध की उपमा दी गई है।३२४ यह समग्र द्वादशांगी का सार है। कर्मशास्त्र में नवकार मंत्र -कर्मशास्त्र की दृष्टि से देखा जाय तो कर्म सारे जगत पर शासन करते है, परंतु ये कर्म पंचपरमेष्ठी से डरते हैं इसलिए पंचपरमेष्ठी के साथ संबंध रखने से कर्म बंधन ढीले हो जाते हैं। इसके प्रत्येक अक्षर का उच्चारण से या ध्यान से अनंत - अनंत कर्म वर्गणाओंका विलय होता है। नवकार मंत्र केवल इस जन्म का ही नहीं, अपने को३२५ पूर्व जन्मों की कर्म वर्गणाओं के विलय करने के लिए उपकारी हो सकता है। ___ज्ञानवरणीय, दर्शनावरणीय, वेदनीय, मोहनीय, आयुष्य, नाम, गोत्र और अंतराय ये आठ कर्म है। नवकार मंत्रद्वारा कर्मोंके आश्रवोंको रोका जा सकता है और संचित कर्मोंका (२७८)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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