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________________ विशेषता यह है कि - वह सक्रीयता पैदा कर सकता है । सूस्ती या आलस्य का अनुभव हो अथवा जड़ता आ जाए तो, उसे दूर करने के लिए लाल रंग का ध्यान बहुत कल्याणकारी साबित होगा। आत्म साक्षात्कार, अंतर्दृष्टि का विकास, अतींद्रिय चेतना का विकास यह दूसरे पद में हो सकता है। नमो सिद्धाणं मंत्र, लालवर्ण दोनों का संगम हमारी आंतरिक दृष्टि को जागृत करने का अनुपम साधन है। इसलिए दूसरे पदमें लाल रंग का मिलन संयोजन अनिवार्य है। हम यह नहीं कह सकते है कि किसी को कब सिद्धि प्राप्त हो सकती है, लेकिन इतना हम अवश्य कह सकते है कि जिस मार्ग पर हम चलते है वह हमें अवश्य मंझिल तक ले जाएगा। ___तीसरा पद नमो आयरियाणं है । इसका रंग पीला है। यह रंग हमारे मनको सक्रिय बनाता है। हमारे शरीर में सूरज है, चांद है, बुध है राहु है, मंगल है। सारे ग्रह हैं। चंद्र और मनका घनिष्ट संबंध है। जैसी स्थिति चंद्रमा की होती है वैसी स्थिती मनकी होती है। आरोग्य शास्त्री कहते है कि मानव वृत्तियों पर नियंत्रण करनेवाली ग्रंथी थायरोईड है। इस ग्रंथी का स्थान कंठ है। रंग के साथ इस केंद्र पर तिसरे पद का ध्यान करने से हमारी वृत्तियाँ शांत हो जाती है और पवित्रता की दिशामें वे सक्रिय बनती है। यहाँ मन पवित्र होता है, निर्मल होता है। __ चौथा पद नमो उवज्झायाणं है। इसका रंग हरा है। हरा रंग शांति देनेवाला है। यह रंग समाधि और एकाग्रता पैदा करता है। कषायों को शांत करता है और आत्मसाक्षात्कार में सहाय करता है। नीले रंग के साथ इसपद की साधना करने से परमानंद की प्राप्ति होती है। पांचवाँ पद नमो लोए सव्व साहूणं है। इसका काला रंग है। काले वर्ण के साथ इस पद की आराधना की जाती है। कालावर्ण अवशोषक होता है। वह बाहर के प्रभाव को भीतर नहीं जाने देता। काला वर्ण व्यक्तिको अपना व्यक्तित्व या गुण जैसा का वैसा रखने में उपयोगी साबित हो सकता है। बाह्य प्रलोभन या तो बाधाओं साधक आत्मा की आंतरिक चेतना को कुछ भी असर नहीं कर सकता है । काला रंग गुणवृद्धि में सहायक होता है । न्यायालय में न्यायाधीश और वकील काला कोट पहनते है इसका कारण यह है कि - उनको बाहरी वातावरण से सुरक्षित रखता है।२९४ ___नमस्कार महामंत्र के पाँच पदों के साथ पाँच वर्णों का चुनाव बहुत महत्त्वपूर्ण है, रहस्यमय है। २९५ सुक्ष्म जगत की यात्र करने के लिए नवकार मंत्र के इन पदों का मिलन बहुत ही लाभप्रद होगा। नवकार मंत्र की आराधना में वर्गों की दिशा अक्षरों की दिशा और चैतन्य केंद्रोंकी दिशा - तीन दिशाओं उद्घाटित होती हैं। उन दिशाओं की खोज में (२७०)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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