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आधुनिक विज्ञान में रंगों पर भी अन्वेषण हो रहा है। यह विज्ञान का एक स्वतंत्र विषय बन चुका है। २९२
नवकार मंत्र की आराधना बीजाक्षरों के साथ की जा सकती है। तथा एक - एक पद की एक - एक चैतन्य केंद्र में की जाती है तथा वर्णों या रंगों के साथ भी की जाती है।
Dr. R. K. Jain A Scientist Treatise on Great Namokar Mantra नामक पुस्तक में The Namokar Mantra The Colour Therapy शीर्षक के अंतर्गत रंग विज्ञान पर साधना के संदर्भ में वैज्ञानिक दृष्टि से विवेचन किया है, जो मननीय है। २९३
मंत्रविद् आचार्योंने नमस्कार मंत्र के साथ रंगों का बहुत ही सुंदर वर्णन किया है । नवकार मंत्र की शक्ति में अपार श्रद्धा रखनेवाले आचार्य भगवंतोने नवकार मंत्र के रहस्यों के आधार पर एक - एक पद के लिए एक एक रंग की समायोजना की है ऐसा बताया पाया है कि हमास सारा जगत् पौद्गलिक है। पुद्गल के चार लक्षण है - वर्ण, गंध, रस और स्पर्श ! सारा मूर्त संसार वर्ण, गंध, रस और स्पर्श के प्रकंपों से प्रकंपित है। इतनाही नहीं वर्ण से हमारे शरीर का बहुत निकटका संबंध है। वर्ण से हमारे मनका आवेगोंका, कषायों का 'बहुत बड़ा संबंध है । शरीर या मन की स्वस्थता का आधार भी रंगों पर है।
वैद्यकीय दृष्टि से रंगों की विगत पूर्ण चर्चा मिलती है । वर्तमान आरोग्य शास्त्र और रंगका नजदीक का संबंध है। नीला रंग शरीर में कम होता है तब क्रोध अधिक आता है। नीले रंग की पूर्ति हो जाने पर क्रोध कम हो जाता है। श्वेत रंग की कमी हो तो स्वास्थ्य बिगडता है। लाल की कमी होने पर आलस्य और जड़ता बढ़ती है। काले रंग की कमी होने पर प्रतिरोध की शक्ति कम हो जाती है। रंगों के साथ मनुष्य के मन का, मनुष्य के शरीर का कितना गहरा संबंध है उसे जब तक हम जान नहीं लेते तब तक नमस्कार महामंत्र के रंगों के साथ साधना करने की बात हमारी समझमें नहीं आ सकती ।
प्रथम पद नमो अरिहंताणं का ध्यान श्वेत वर्ण के साथ करना चाहिये । क्योंकि श्वेत वर्ण हमारी आंतरिक शक्तियों को जागृत करने वाला होता है। श्वेतवर्ण के बारे में मंत्र शास्त्र ऐसा कहते है कि ये स्वास्थ्यदायक मंत्र है । मंत्रशास्त्र की तरह आरोग्यशास्त्री भी कहते है कि- यदि किसी को सुखमय आरोग्य की प्राप्ति करना हो तो श्वेतवर्ण परम उपकारी साबित होगा। रोग निवारण और शांति के लिए सफेद रंग बहुत उपयोगी हो सकेगा। नवकार मंत्र के प्रथम पद और सफेद रंगका हमारी साधना में बहुत बड़ा योगदान हो सकता है।
दूसरा पद नमो सिद्धाणं का ध्यान रक्तवर्ण के साथ किया जाता है । बाल सूर्य जैसा लाल वर्ण हमारी आंतरिक दृष्टि को जागृत करनेवाला है । इस रंग की सबसे बड़ी
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