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________________ परिवर्तन का मार्मिक निरूपण किया है। लॉर्ड मेकबेथ और लेडी मेकबेथ राजा डंकन के प्रिय दंपति थे । राजा डंकन नि:संतान थे और लोर्ड मेकबेथ को अपने प्रिय पुत्र की तरह स्नेह और प्रेम था। अपनी मृत्यू के बाद राजगद्दी मेकबेथ को ही मिले ऐसी उसने घोषणा भी की थी। राज्य के अन्य अधिकारियों ने राजा की इस घोषणा का स्वागत भी किया था। लॉर्ड मेकबेथके मार्गमें राजा डंकन के निधन के बाद राजा बनने में किसी भी प्रकार के विघ्न कोई संभावना नहीं थी । लेड़ी मेकबेथ बहुत महत्त्वाकांक्षी नारी थी। वह चाहती है कि - वह जल्दी से रानी बन और लोर्ड मेकबेथ राजा बन जाए । विलंब सहन उसे पसंद नहीं था। डंकन राजा के मृत्यू की प्रतिक्षा करना उसके स्वभाव से विपरीत था । वह अपने पति को कहती है कि शीघ्रातिशीघ्र वे दोनों राजगादी प्राप्त करें । राजा डंकन को किसी भी तरह मार्ग से हटाया जाए और अपनी महत्त्वाकांक्षा जल्दी से पूर्ण हो जाए। लोर्ड मेकबेथ डंकन राजा के प्रति पूज्यभाव रखता है। किसी भी तरह की जल्दबाजी उसे पसंद नहीं है और न तो वह किसी भी प्रकारका अनैतिक आचरण करने को तैयार था। दोनों के मन के भीतर उठनेवाले शुभ अशुभ विचारोंका - लेश्यांओं का वर्णन लेखकने किया है। - लेडी मेकबेथ प्रतिक्षा करने के लिए तैयार नहीं थी । वह षड़यंत्र रचती है। राजा डंकन की हत्या करने की योजना बनाती है और किसी भी तरह इस षड़यंत्र में लोर्ड मेकबेथ को सामिल करती है । I षड़यंत्र की समाप्ति के लिए लेडी मेकबेथ व्यवस्थित योजना बनाती है । महल के सभी पहरेगीरों को दूर भेजती है और एक भयानक रात्रिमें राजा डंकन की हत्या करने के लिए दोनों तैयार हो जाते है। राजा डंकन के शयन खंड़ के बाहर वे दोनों आते है । लेडी मेकबेथ लोर्ड मेकबेथ के हाथमें खंजर रखती है और राजा डंकन की हत्या के लिए उसे प्रोत्साहित करती है और राजा के शयन खंड में भेजती है। लोर्ड मेकबेथ राजा के शयनखंड में जाता है। लेकिन राजा डंकन की हत्या नहीं कर सकता है । लेडी मेकबेथ के पुछने पर वह बताता है कि - निद्रावस्थामें सोये हुए राजा डंकन की मुखमुद्रामें उसको उसके पिताजी के चेहरे का साम्य दिखाई देता है । लेखक ने यहाँपर शुभ और अशुभ श्याओं को वर्णित किया है । २७९ लोर्ड मेकबेथ की कायरता लेडी मेकबेथ को स्वीकृत नहीं थी। वह राजा के शयन खंड में जाती है और भयानक अधर्म कृत्य करती है - राजा की क्रूर हत्या । अशुभ लेश्या की चरम सीमा लेखक ने यहाँ वर्णित की है । राजा की हत्या के बाद लेडी मेकबेथकी (२६२)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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