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विश्वके साहित्यकारोने अपनी साहित्य कृतियों में मानव शुभ और अशुभ लेश्याओं का बहुत ही कलापूर्ण रीति से आलेखन किया है। भिन्न भिन्न पात्रों के माध्यम से शुभ और अशुभ लेश्याओंका आवागमन बड़े ही सुंदर ढंग से वर्णित किया है। गुजराती साहित्य में आख्यानकार प्रेमानंद ने ‘रणयज्ञ' नामक आख्यानमें रावण के मनमें उठनेवाली शुभ अशुभ भावों की सृष्टि का तादृश आलेखन किया है। रामायण के अमर पात्र सीता माता के प्रति उनके हृदयमें सात्त्विक एवं पवित्र भाव प्रेमानंद ने निरूपीत किया है। रावण कुंभकर्ण को कहता है -
“ज्यारे देखु हुं सती जानकी
जाणे होय जे आपणी मात रे !"२७८ अर्थात् रावण कहता है कि - जब अशोक वाटिका में वह सीताजीका अवलोकन करता है तब उसके मनमें सीताजी के प्रति पवित्रता और सात्त्विकता के भावों का उदय होता है। उसके सभी पाप विचार नष्ट हो जाते है। अशुभ लेश्याएं भाग जाती है और शुभ लेश्याओं उनको विशिष्ट शांति प्रदान करती है।
‘रणयज्ञ' की इन पंक्तियों से कविने रावण के पात्र को बहुत ही गौरव प्रदान किया है । किंतु इससे बढ़कर भी इन पंक्तियों से भगवती सीता का, उनकी पवित्रता और विशुद्ध नारी शक्ति का प्रेमानंद ने बहुत आदर किया है। भगवती सीता के चारों ओर पवित्र परमाणुओं का विशुद्ध सुरक्षा चक्र मानो बन गया है। अंग्रेज वैज्ञानिकोने जिसे 'Cosmic Rays' कहा है और भारतीय साहित्याचार्यो एवं तत्त्वज्ञानियोने जिसे आभामंडल शब्द से सन्मानित किया है। यही पवित्र आभामंडल सीताजी की शुभ लेश्याओंका रावण पर भी सात्त्विक प्रभाव रखता है और पवित्र पुद्गल परमाणू रावणके मन की अशुभ वृत्तियाँ को शुभ में परिवर्तीत करने की उत्तम क्षमता रखता है।
जैन धर्म के अनुसार महान आत्माओं में प्रारंभ से ही शुभ लेश्याओं का साम्राज्य स्थापित हो जाता है। भगवती सीताजी के मनके भीतर तेजो लेश्या, पद्म लेश्या और शुक्ल लेश्या का विराट सागर लहरा रहा था । अपवित्र का एक बूंद भी ढूँढने पर भी नहीं मिल पायेगा। इस परम पवित्र लेश्याओं का रावण पर अत्यंत विशुद्ध प्रभाव पड़ता है और उसके मन के बुरे विचार दूम दबाकर भाग जाते है। इसी तरह प्रेमानंदने सर्वोत्तम आर्य नारी सीताजी के विशुद्ध लेश्याओं का अत्यंत कलापूर्ण रीतिसे सन्मान किया है और भारतवासीओं के लिए उत्तम आदर्श का आलेखन किया है।
विश्वसाहित्य के उत्तम नाट्यकार शेक्सपियर ने भी अपनी Traged (करूणांत) नाट्य रचनामें लेश्या परिवर्तन का उत्तम, कलापूर्ण रीति में लेड़ी मेकबेथके पात्र के द्वारा लेश्या
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