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आत्मा का स्वरूप सर्वथा स्वच्छ है किंतु कर्म पुद्गलों से आच्छादित होने से उसका स्वरूप विकृत हो जाता है। कर्मो से होनेवाली उस विकृति की अल्पता और अधिकता के आधार पर आत्मा के परिणाम सद्-असद् होते रहते है। जब विकृतियों की न्यूनता होती है तब आत्मा के परिणाम शुभ होते है। नवकार मंत्र की आराधना से लेश्या परिवर्तन का कार्य सरल और उत्तम हो जाता है । इसलिए नवकार मंत्र को चतुर्दश पूर्वो का सार कहा गया है। यह श्रुतज्ञान का रहस्य है। इस मंत्र से कृतज्ञता का गुण उत्पन्न होता है। एवं परोपकार का भाव उदीत होता है। शास्त्रकारोंने परोपकार के गुण को सूर्य और कृतज्ञता के गुण को चंद्र की उपमा दी है। __नमस्कार मंत्र की आराधना से क्षमता, दमता तथा शमता आदि गुणों का विकास होता है। क्षमता का अर्थ क्षमाशीलता और क्रोध-रहितता है। दमता, याने इंद्रिय दमन तथा कामरहितता समझना चाहिये। शमता का अर्थ लोभ वर्जन है। जो दूसरो को अपने समान समझता हो, वह उस पर क्रोध कैसे कर सकता है ? जो दूसरे की पीड़ा को समझता हो वह दूसरे को कष्ट कैसे पहुंचा सकता है ? वैसा व्यक्ति माया, मिथ्यात्व एवं निदान रूप शल्य से भी विमुक्त रहता है ।२७६ नमस्कार मंत्र द्वारा होनेवाली लेश्या विशुद्धि का यह परिणाम है। यह मंत्र समस्त जीवों मे समता और स्नेह का परिणाम विकसित करता है। उससे विश्व वात्सल्य की भावना उत्पन्न होती है । आत्मा शांत निष्काम, निर्दभ और नि:शल्य होकर उत्तम कार्योंमे तत्पर होती है।२७७ ___अहिंसा आदि समग्र धर्मों का मूल नम्रता है। धर्म को प्राप्त करनेका पहला सोपान विनम्र बनना है। नम्र बनकर संयमी बननेवाला जीव आते हुए कर्मोंका निरोध करता है तथा पुराने संचित कर्मों को निर्जीर्णकरने हेतु तपश्चरण आदि की साधना करता है। उस साधनामें वह सदा उल्लसित-प्रफुल्लित रहता है। इतना ही नहीं इनके के मन, वचन और कर्म में पुण्यरूपी अमृत भरा रहता हैं।
नमस्कार मंत्र दानरूची का भी प्रेरक है। सर्व श्रेष्ठ पुरुषों के सद्गुणों के प्रति समर्पण करना यही दान हैं। दान की रूचि के बिना जैसे दानादि कार्य गुण नहीं बन सकते। वैसे ही नवकार मंत्र के बिना पुण्यकर्म पुण्यस्वरूप नहीं बन सकते। इन सब गुणों की प्राप्ति के लिए शुभ लेश्या का क्रमशः विकसित होना परम आवश्यक है। लेश्या परिवर्तन हमें अशुभ से शुभ भावमें और शुभ से शुद्ध भावमें उन्नत करने की क्षमता रखती है। और व्यक्ति एवं विश्वकल्याण की भावना सुदृढ़ बन जाती है। ऐसी शुभ भावनाएँ सभी जीवों में विकसती रहे यह हमारी प्रार्थना है।
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