SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 249
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रत्याख्यान ग्रहण करना है वह भी प्रत्याख्यान के रहस्य से अनभिज्ञ है तो उसका प्रत्याख्यान अशुद्ध प्रत्याख्यान है। षड़ावश्यक में प्रत्याख्यान सुमेरू के स्थान पर है। प्रत्याख्यान से भविष्यमें आनेवाली अव्रत की भी सभी क्रियाएँ रूक जाती हैं और साधक नियमों-उपनियमों का सम्यक् पालन करता है। उत्तराध्ययन में प्रत्याख्यान के संबंधमें चिंतन करते हुए निम्न प्रकार बताये है। १. संभोग प्रत्याख्यान १५२ श्रमणोंद्वारा लाए हुए आहार को एक स्थान पर मण्डलीबद्ध बैठकर खाने का परित्याग करना । दूससे जीव स्वावलंबी होता है और अपने द्वारा प्राप्त लाभ से ही सन्तुष्ट रहता है। २. उपाधि - प्रत्याख्यान १५४ वस्त्र आदि उपकरणों का त्याग करना । इससे स्वाध्याय आदि करने में विघ्न उपस्थित नहीं होता। आकांक्षा रहित होने से वस्त्र आदि मांगने की और उनकी रक्षा करने की उसे इच्छा नहीं होती तो मनमें संकलेश नहीं होता। ३. आहार - प्रत्याख्यान १५५ आहार का परित्याग करनेसे जीवन से जीवन के प्रति ममत्व नहीं रहता निर्ममत्व होने से आहार के अभाव में भी उसे किसी प्रकार के कष्ट की अनुभूति नहीं होती। ४. योग - प्रत्याख्यान १५६ मन, वचन और काय संबंधी प्रवृत्ति को रोकना योग प्रत्याख्यान है। यह चौदहवें गुणस्थानमें प्राप्त होता है। ऐसा साधक नूतन कर्मोंका का बन्ध नहीं करता वरना पूर्व संचित कर्मों को क्षय करता है। ५. सद्भाव - प्रत्याख्यान १५७ सभी प्रकारकी प्रवृत्तियों का परित्याग कर वीतराग अवस्था को प्राप्त करना । इसमें जीव सभी प्रकार के कर्मों से मुक्त हो जाता है। ६. शरीर - प्रत्याख्यान १५८ इससे अशरीरी सिद्धावस्था प्राप्त होती है। ७. सहाय-प्रत्याख्यान १५९ __ अपने कार्योमें किसीका भी सहयोग न लेना । इससे जीव एकत्व भाव को प्राप्त करता है। एकत्वभाव प्राप्त होने से वह शब्दविहीन, कलहविहीन, संयमबहुल तथा समाधिबहुल हो जाता है। (२१६)
SR No.002297
Book TitleJain Dharm ke Navkar Mantra me Namo Loe Savva Sahunam Is Pad ka Samikshatmak Samalochan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorCharitrasheelashreeji
PublisherSanskrit Bhasha Vibhag
Publication Year2006
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy